इमरान खान सरकार ने तुर्की की मदद से चली एक और चाल, भारतीय गृहमंत्री और सेना प्रमुख की गिरफ्तारी की मांग
वैश्विक न्यायाधिकार है। इसी का तुर्की और पाकिस्तान फायदा उठाना चाहते हैं।
कश्मीर में हर तरह से मुंह खा चुके पाकिस्तान ने अब भारत को फंसाने के लिए एक और चाल चली है। ब्रिटेन की राजधानी लंदन में तुर्की से जुड़ी एक लॉ फर्म (Stoke White) ने कश्मीर में कथित युद्धापराध के लिए भारतीय गृहमंत्री अमित शाह और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की गिरफ्तारी की मांग की है। यही नहीं उसने कथित रूप से कश्मीर में रह रहे 2 हजार लोगों के बयान वाली रिपोर्ट को भी लंदन पुलिस को सौंपा है। उसका दावा है कि यह भारत की ओर से कश्मीर में किए जा रहे 'युद्धापराध' और 'हिंसा' का सबूत है।
उधर, भारतीय अधिकारियों का मानना है कि यह पाकिस्तान समर्थित प्रोपेगैंडा है। भारतीय सेना, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ की गई शिकायत को लंदन पुलिस के युद्धापराध की जांच करने वाली यूनिट को भी दिया गया है। लॉ फर्म ने लंदन पुलिस से कश्मीर में कथित भारतीय अपराधों की जांच करने की मांग की है। इस बीच एक भारतीय सूत्र ने कहा है कि यह लॉ फर्म तुर्की के अधिकारियों से जुड़ी हुई है और पाकिस्तान की ओर से काम कर रही है।
'पाक से सीमा पार आतंकवाद पर पूरी तरह से शांत है रिपोर्ट'
भारतीय अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन के किसी प्राधिकरण ने पुलिस शिकायत के बारे में भारतीय उच्चायोग से संपर्क नहीं किया है। अधिकारी ने कहा, 'यह रिपोर्ट कोई जवाब देने के लिए मूर्खतापूर्ण है। इस रिपोर्ट में कथित नरसंहार और मानवाधिकर उल्लंघनों का जिक्र है लेकिन पाकिस्तान की ओर से बढ़ावा दिए जाने वाले सीमा पार आतंकवाद पर पूरी तरह से शांत है। जिस लॉ फर्म स्टोक वाइट इंटरनैशनल ने यह याचिका दाखिल की है, उसके इस्तांबुल और लंदन में कार्यालय हैं। यह लॉ फर्म इस्लामिक कानूनों में विशेषज्ञता रखती है। इसका तुर्की से बढ़िया संपर्क है।
इस लॉ फर्म का दावा है कि उसकी कानून के दायरे में रहते हुए अपनी एक जांच यूनिट है जो जनहित से जुड़े मामलों की जांच करती है। लॉ फर्म ने अपने एक बयान में कहा कि उसने अपनी रिपोर्ट 'इंडिया वार क्राइम इन कश्मीर को मेट्रोपोलिटन पुलिस के युद्धापराध यूनिट को सौंपा है। हमने कश्मीर में अपराधों के लिए भारत के गृहमंत्री और सेना प्रमुख को अरेस्ट करने की मांग की है। पिछले साल इसी लॉ फर्म ने यूएई और सऊदी अरब के खिलाफ यमन में युद्धापराध करने के लिए याचिका दाखिल की थी। सऊदी अरब का तुर्की के साथ तनाव चल रहा है।
ब्रिटेन के पास युद्धापराधों की जांच के लिए वैश्विक न्यायाधिकार
वहीं पाकिस्तान तुर्की के साथ लगातार अपनी दोस्ती को बढ़ा रहा है। एर्दोगान के नेतृत्व में तुर्की इस समय खुद को क्षेत्र में नया खलीफा बनाना चाहता है और इसमें पाकिस्तान की मदद ले रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान बार-बार कश्मीर पर पाकिस्तान की ओर से बोल रहे हैं, वहीं भारत भी साइप्रस के मुद्दे पर तुर्की का समर्थन नहीं करता है। इसी लॉ फर्म ने तुर्की के लोगों के लिए अंकारा समझौता कराया था जिससे हजारों की तादाद में तुर्की के नागरिक अब ब्रिटेन में रह रहे हैं। ब्रिटेन के पास जिनेवा कानून 1957 के तहत युद्धापराधों की जांच के लिए वैश्विक न्यायाधिकार है। इसी का तुर्की और पाकिस्तान फायदा उठाना चाहते हैं।