स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस का एक और प्रभावी संस्करण इस वर्ष आने की उम्मीद, सुर्खियों में रहा जेट विमान
क्रियान्वयन करना है और उसमें निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी शामिल करने का लक्ष्य है।
स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस का एक और प्रभावी संस्करण इस वर्ष आने की उम्मीद है। यह कहा जा रहा है कि इसमें लगा इंजन ज्यादा शक्तिशाली है। इस संस्करण की आयुध क्षमता भी अधिक है। इस विमान में अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रानिक युद्ध प्रणाली और कई श्रेष्ठ वैमानिकी प्रणालियां होंगी। इस लड़ाकू विमान के तेज रफ्तार संबंधी परीक्षण वर्ष 2023 में शुरू होंगे। आइए जानते हैं कि हाल में तेजस क्यों चर्चा में आया। यह दुनिया के कई मुल्कों का पंसदीदा विमान क्यों बना है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि तेजस मार्क-2 की क्या खासियत है। हाल में भारतीय वायु सेना में शामिल भारत का स्वदेशी जेट विमान तेजस सुर्खियों में रहा है। तेजस का मुकाबला चीन, रूस और दक्षिण कोरिया के विकसित विमानों से किया जा रहा है।
अगस्त-सितंबर 2022 तक तैयार होगा
1- हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर माधवन ने गत वर्ष कहा था कि अगस्त-सितंबर तक यह विमान तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि तेजस मार्क-2 को लेकर संरचनागत व अन्य काम काफी अच्छे से चल रहे हैं। उन्होंने बताया था कि तेजस मार्क-2 के 2022 के अगस्त-सितंबर तक सामने आने की संभावना है, जिसके बाद पहली उड़ान में कुछ वक्त लगेगा। विमान का पहला तेज रफ्तार संबंधी परीक्षण 2023 में शुरू होगा और हमें 2025 के आसपास तक उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है।
2- तेजस मार्क-1 की तुलना में इस उन्नत संस्करण में बड़ा ढांचा, लंबी दूरी तय करने की क्षमता के साथ ही बेहतर रखरखाव होगा। यह ज्यादा आयुध सामग्री ले जाने में सक्षम होने के साथ ही अधिक मजबूत इंजन क्षमता और श्रेष्ठ युद्ध प्रणालियों से लैस होगा। उड़ान दूरी और आयुध ले जाने की क्षमता बढ़ने के साथ ही नया संस्करण तेजस मार्क-1 से अधिक शक्तिशाली होगा। भारतीय वायु सेना 48000 करोड़ रूपये के सौदे के तहत एचएएल से 73 तेजस मार्क-1 ए विमान खरीद रही है। सरकार ने 13 जनवरी को इस सौदे को मंजूरी दी थी।
भारत की बड़ी योजना
भारत काफी अंदर तक घुसकर मार करने वाले मध्यम भार के लड़ाकू विमान की पांचवीं पीढ़ी पर काम कर रहा है। इस पर करीब पांच अरब डालर का खर्च आने का अनुमान है। शुरुआती विमान वर्ष 2026 तक बन जाने की संभावना है। इसका उत्पादन वर्ष 2030 तक शुरू हो सकता है । रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन इस परियोजना की समयसीमा पर ध्यान रखकर आगे बढ़ रहा है। एचएलए शुरुआती विमान का निर्माण करेगा। इसके बाद निजी कंपनियों को इसमें जोड़ा जाएगा। उन्नत बहुद्देश्यीय लड़ाकू विमान परियोजना की अगली पीढ़ी एक विशेष प्रयोजन इकाई (एसपीवी) के कार्यढांचे में परियोजना का क्रियान्वयन करना है और उसमें निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी शामिल करने का लक्ष्य है।