बीजिंग: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपनी जीरो कोविड पॉलिसि को लेकर किरकिरी झेलनी पड़ रही है। चीन के बड़े शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और ऑनलाइन कैंपेन चलाए जा रहे हैं। इसमें चीन की जीरो-कोविड नीति के लिए राजनीतिक जिम्मेदारी तय करने की मांग हो रही है।
आपको बता दें कि चीन में कठिन लॉकडाउन लगाया गया। बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की गई। सीमाओं को सील किया। दो साल तक वायरस से मुकाबला किया। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में अपेक्षाकृत मौतें भी कम हुईं।
वहीं, अधिकांश पश्चिमी देशों को भारी प्रकोप का सामना करना पड़ा। चीन की जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर पिछले साल सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी के दौरान जश्न मनाया गया था।
हालांकि, ओमिक्रॉन वैरिएंट ने चीन की जीरो कोविड पॉलिसी की पोल खोल दी है। सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है। शंघाई में इसका सबसे अधिक असर दिख रहा है। बीजिंग के लोगों को भी डर हो रहा है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में चीन के प्रोफेसर विविएन शी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, नेतृत्व की अकर्मण्यता, जिद्द और नासमझी जोखिम पैदा कर रही है। इसके बावजूद, शी का कहना है कि देश को जीरो-कोविड पॉलिसी के साथ चलना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीनी जीवन आर्थिक दर्द से अधिक मूल्य का है।
सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू ने कहा, "इस नीति को चुनौती देने का मतलब उसे यानी शी जिनपिंग को चुनौती देना है।"