नई दिल्ली: एक महिला जज ने 11 साल की रेप पीड़िता को अबॉर्शन की इजाजत देने से मना कर दिया. जज ने लड़की को शेल्टर होम भेजने का आदेश भी दिया, ताकि उसे अबॉर्शन कराने की कोशिश करने से रोका जा सके. ये मामला ब्राजील का है. जज के इस फैसले के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क उठा है.
nypost.com की रिपोर्ट के मुताबिक, रेप पीड़िता के प्रेग्नेंट होने के बाद पिछले महीने उसे ब्राजील के सांता कैटरीना राज्य के एक अस्पताल में ले जाया गया था. लेकिन डॉक्टरों ने लड़की का अबॉर्शन करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह 22 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी.
दरअसल, स्थानीय नियमों के तहत अबॉर्शन की प्रक्रिया केवल 20 हफ्ते तक की प्रेग्नेंट महिला के साथ की जा सकती है. ऐसे में रेप पीड़िता के 22 हफ्ते की प्रेग्नेंट होने के कारण डॉक्टरों ने अबॉर्शन से मना कर दिया.
वहीं, जब मामला जज जोआना रिबेरो ज़िमर (Joana Ribeiro Zimmer) के सामने लाया गया तो जज ने भी डॉक्टरों का पक्ष लिया और फैसला सुनाया कि लड़की का अबॉर्शन नहीं हो सकता.
गौरतलब है कि ब्राजील में अबॉर्शन गैरकानूनी है. हालांकि, रेप के के मामलों में और अगर महिला के जीवन को प्रेग्नेंसी से खतरा है तो इन स्थितियों में अबॉर्शन करवाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए भी नियम तय हैं.
रेप पीड़िता को शेल्टर होम में रखने का आदेश जारी करते हुए जज ने कहा कि एक 'जोखिम' था कि लड़की 'गर्भ में पल रहे बच्चे का अबॉर्शन कराने के लिए कुछ कर सकती है. सुनवाई के दौरान जज ने बच्चे को गोद देने पर भी टिप्पणी की.
बताया गया कि करीब 30,000 कपल ऐसे हैं जो बच्चा गोद चाहते थे. लड़की से यह भी पूछा कि क्या वह खुद से बच्चे का नाम रखना चाहती है. साथ ही क्या वह रेप करने वाले व्यक्ति को बच्चा गोद देना चाहती है?
रिपोर्ट के अनुसार, लड़की का रेप उसके ही घर में हुआ में था. हालांकि, रेप करने वाले की पहचान उजागर नहीं की गई.