गैलापागोस में मिली विलुप्त हो चुके दैत्याकार कछुए की प्रजाति, आखिर बार 1915 में आया था नजर

उन्होंने कहा कि माना जाता था कि ये प्रजाति 100 साल पहले ही विलुप्त हो गई थी. अब इसके अस्तित्व की पुष्टि की गई है. उम्मीद अभी जिंदा है.

Update: 2021-05-28 03:14 GMT

ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के दुष्प्रभावों के चलते जीवों की प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं. इसी बीच एक राहत देने वाली खबर सामने आई है. प्रशांत महासागर के गैलापागोस द्वीपसमूह को दुनिया के सबसे बड़े कछुओं का घर कहा जाता है. यहां वैज्ञानिकों ने कछुए (Tortoise) की एक ऐसी प्रजाति का पता लगाया है जो करीब 115 साल पहले विलुप्त हो गई थी. वैज्ञानिकों ने 2019 में एक वयस्क मादा कछुए की खोज की थी जिसके बाद से इस पर रिसर्च की जा रही थी.

अनुवांशिक विश्लेषण की मदद से वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि यह मादा कछुआ फर्नांडीना जाइंट कछुआ है. इस जानकारी के सामने आने के बाद वैज्ञानिक और पर्यावरणविद काफी खुश हैं. बता दें कि ये द्वीप लैटिन अमेरिका के देश इक्वाडोर के अधिकार क्षेत्र में आता है. विलुप्त प्रजाति का कछुआ मिलने के बाद इक्वाडोर के पर्यावरण मंत्री गुस्तावो मैनरिक ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'उम्मीद अभी जिंदा है!'
शिकार के बाद विलुप्त हुए कछुए


कछुए की ये प्रजाति आखिरी बार 1915 में देखी गई थी. ऐसे में सवाल ये कि आखिर ये कैसे विलुप्त हुए? दरअसल यूरोपीय और दूसरे देशों के लोग बड़ी संख्या में गैलापागोस द्वीप समूह की यात्रा करते थे. लोगों ने कछुओं की कई प्रजातियों का शिकार किया लेकिन फर्नांडीना द्वीप पर पाए जाने वाले चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस कछुए बड़ी मात्रा में शिकार के चलते गायब हो गए.
उम्मीद अभी जिंदा है!
2019 में वैज्ञानिकों की एक टीम फर्नांडीना द्वीप की यात्रा करने पहुंची. यहीं उन्हें यह मादा कछुआ मिली. रिसर्च करने के लिए येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति की मादा कछुए के नमूनों की तुलना नर कछुए के अवशेषों से की. इस खबर को लेकर पर्यावरण मंत्री ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि माना जाता था कि ये प्रजाति 100 साल पहले ही विलुप्त हो गई थी. अब इसके अस्तित्व की पुष्टि की गई है. उम्मीद अभी जिंदा है.

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