चीन में और मजबूत हुए चिनफिंग
प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि 1921 में कम्युनिस्ट पार्टी के बनने के बाद से यह तीसरी बार है जब इस तरह का रिजाल्यूशन पास किया गया है। कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास में यह अपनी तरह का तीसरा प्रस्ताव है। इसके पूर्व पहला प्रस्ताव 1945 में माओत्से तुंग ने और फिर दूसरा प्रस्ताव देंग शियाओपिंग ने 1981 में पारित किया था। इस तरह से ऐसे प्रस्ताव जारी करने वाले शी चिनफिंग चीन के तीसरे नेता बन गए हैं। कम्युनिस्ट पार्टी का मकसद चिनफिंग को पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग और देंग शियाओपिंग के बराबर खड़ा करना है। प्रो. पंत का कहना है कि चीन में कांग्रेस की बैठक में यह तीसरी बार हुआ है, जब किसी नेता के विचार को संविधान में शामिल किया गया है। यह चीन में चिनफिंग की ताकत को दर्शाता है। यह इस बात को सिद्ध करता है कि चिनफिंग की कम्युनिस्ट पार्टी में जबरदस्त पकड़ है। उन्होंने कहा कि इसके पूर्व माओत्से तुंग और देंग जियाओपिंग के विचारों को पार्टी संविधान में शामिल किया गया था। इस फैसले के बाद अब स्कूलों में उनके विचारों को बाकायदा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी उनके पाठ को पढ़ेंगे। चिनफिंग के इस विचार के बाद नए तेवर में चीनी समाजवादी युग शुरू हो गया।
पार्टी ने इस युग को आधुनिक चीन का तीसरा अध्याय करार दिया है। उन्होंने कहा कि माओ का कार्यकाल इसलिए याद किया जाता है कि उन्होंने गृह युद्ध में फंसे चीन को निकलने के लिए लोगों को एकजुट किया था। इसके बाद देंग जियाओपिंग के शासनकाल में चीन की एकता पर जोर दिया गया। देंग के कार्यकाल में चीन ने अनुशासित और विदेश संबंधों को मजबूत किया।
एक नए शीत युद्ध की हो सकती है शुरुआत
प्रो. पंत का कहना है कि चिनफिंग देश के आंतरिक राजनीति में काफी मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन पांच वर्षों में चिनफिंग बाहरी जगत के लिए खासकर अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए और आक्रामक हो सकते हैं। उनके तेवर और सख्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि चिनफिंग के मजबूत होने से दुनिया में शस्त्रों की एक नई होड़ शुरू हो सकती है। चीन की अमेरिका के साथ वर्चस्व की जंग में और तेजी आ सकती है। उन्होंने कहा कि इस बात की आशंका प्रबल है कि दुनिया में एक नए शीत युद्ध की शुरुआत हो सकती है। इसके अलावा चीन का भारत समेत अन्य सीमावर्ती देशों के साथ संघर्ष बढ़ सकता है। ताइवान को लेकर भी चीन और आक्रामक रुख अपना सकता है। इन पांच वर्षों में चीन हांगकांग की तर्ज पर ताइवान को भी चीन में शामिल करने का बड़ा यत्न कर सकता है।
राष्ट्रपति बनने के लिए संविधान में संशोधन
चिनफिंग के पूर्व राष्ट्रपति रहे सभी नेता पांच साल के दो कार्यकाल या 68 साल की आयु होने के अनिवार्य नियम के बाद रिटायर हो चुके हैं। 2018 में हुए अहम संविधान संशोधन के बाद चिनफिंग को तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने का रास्ता साफ हो गया था। चिनफिंग को छोड़कर पार्टी के अन्य सभी पदाधिकारी दो कार्यकाल पूरा होने के बाद रिटायर हो सकते हैं, जिनमें प्रधानमंत्री ली क्विंग भी शामिल हैं। पार्टी ने कहा है कि चिनफिंग के नेतृत्व में चीन में समाजवाद का नया युग आया है।
चिनफिंग के खिलाफ बयान अपराध माना जाएगा
बता दें कि पिछले चार दिनों से बीजिंग में चल रही कम्युनिस्ट पार्टी की हाई लेवल मीटिंग गुरुवार को खत्म हो गई। इस बैठक में पार्टी के इतिहास पर एक नया रिजाल्यूशन पास किया गया। इसमें 68 वर्षीय राष्ट्रपति शी चिनफिंग को माओत्से तुंग और देंग के बाद चीन का सबसे बड़ा नेता घोषित किया गया। इस फैसले के बाद पार्टी की ऐतिहासिक उपलब्धियों में चिनफिंग का नाम भी अमर हो गया है। अब चिनफिंग के खिलाफ बयानबाजी को चीन में अपराध माना जाएगा। उनके खिलाफ उठी हर आवाज दबा दी जाएगी।