अमेरिका के शीर्फ सैन्य अधिकारी ने कहा- तालिबान के साथ और जटिल होंगे पाकिस्तान के संबंध

अमेरिकी सैनिकों ने पिछले साल तालिबान के साथ पहले से सहमत दोहा समझौते के तहत 31 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ दिया था।

Update: 2021-09-29 03:45 GMT

अमेरिका के शीर्फ सैन्य अधिकारी ने कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान के साथ पाकिस्तान के संबंध निकट भविष्य में और अधिक जटिल हो जाएंगे। यूएस सेंट्रल कमांड (सेंटकाम) के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने मंगलवार को सीनेट में कहा, 'मेरा मानना ​​​​है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के परिणामस्वरूप तालिबान के साथ पाकिस्तान के संबंध काफी जटिल होने जा रहे हैं।'

इस दौरान एक अन्य शीर्ष अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने कहा कि अगर अमेरिका 31 अगस्त की समय सीमा के बाद अफगानिस्तान में रुका होता तो तालिबान के साथ उसका युद्ध में जाना लगभग तय था। दोनों जनरलों ने बाइडन के इस दावे का भी खंडन किया कि अल-कायदा अफगानिस्तान से चला गया है।
स्पुतनिक के अनुसार, अफगानिस्तान के भविष्य पर चिंताओं को रेखांकित करते हुए जनरल मैकेंजी ने कहा कि यह अभी देखा जाना है कि क्या आतंकवादियों को लान्चपैड के रूप में अफगान धरती का उपयोग करने से रोका जा सकता है या नहीं। पिछले साल तालिबान के साथ हुए दोहा समझौते के तहत अमेरिका ने 31 अगस्त को अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी पूरी की। अफगानिस्तान से हटने के बाद शीर्ष सैन्य अधिकारी पहली बार सीनेट के सामने पेश हुए हैं।
अमेरिका अफगान हवाई क्षेत्र में ना करें ड्रोन का इस्तेमाल
वहीं, तालिबान ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी ड्रोन लगातार अफगान हवाई क्षेत्र में काम कर रहे हैं जिसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। तालिबान ने अमेरिकी से उसके दायित्वों का पालन करने को कहा है। अमेरिका के इस कदम को राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन बताते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सभी देशों और वाशिंगटन को आपसी दायित्वों के अनुसार काम करने को कहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दायित्वों पर कार्य करने से नकारात्मक परिणामों को रोका जा सकेगा।
तालिबान ने पिछले महीने अमेरिका द्वारा समर्थित अशरफ गनी की सरकार को सत्ता से हटाकर अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया था। इसके बाद तालिबान ने सितंबर में अपनी अंतरिम सरकार की घोषणा की थी। अमेरिकी सैनिकों ने पिछले साल तालिबान के साथ पहले से सहमत दोहा समझौते के तहत 31 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ दिया था।
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