अमेरिका बांग्लादेश के खिलाफ लगातार ले रहा एक्शन, मोदी सरकार के लिए बढ़ेगा संकट
घुसने से पहले ही उसे बदलकर शिंजियांग के तारिम घाटी की ओर मोड़ना चाहता है।
शेख हसीना के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते लगातार बेहतर होते जा रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बांग्लादेश की आजादी के मौके पर ढाका की यात्रा भी की थी। एक तरफ भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं, वहीं हिंदुस्तान का दोस्त अमेरिका शेख हसीना सरकार से नाराज है। अमेरिका बांग्लादेश के खिलाफ लगातार सख्त काईवाई कर रहा है जो भारत के लिए भी खतरा बन सकता है। आइए समझते हैं क्या है पूरा मामला.....
भारतीय विदेश मंत्री हर्ष वर्द्धन श्रंगला ने हाल ही में कहा था कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। इस गहराती दोस्ती के बीच अमेरिका लगातार बांग्लादेश के खिलाफ ऐक्शन ले रहा है जिसे भारत भी अनदेखा नहीं कर सकता है। शेख हसीना सरकार के खिलाफ अमेरिका का गुस्सा उस समय देखने को मिला जब उसने लोकतंत्र को लेकर आयोजित दुनिया के शीर्ष नेताओं की बैठक में बंग्लादेश को नहीं बुलाया। इसके विपरीत अमेरिका ने पाकिस्तान को बुलाया जहां सेना अप्रत्यक्ष रूप से शासन कर रही है।
बांग्लादेश पुलिस के आला अफसरों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध
यही नहीं पाकिस्तान ने चीन को खुश करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के न्योते को ठुकराकर बाइडन प्रशासन को बड़ा झटका दे दिया। पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों के धर्मस्थलों पर लगातार हमले हो रहे हैं लेकिन फिर भी बाइडन प्रशासन ने इमरान सरकार को बुलावा भेजा था। इस शिखर बैठक के ठीक बाद अमेरिका ने कई देशों के 15 लोगों और 10 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। इन 15 लोगों में 7 बांग्लादेश पुलिस के आला अफसर भी हैं। यही नहीं बांग्लादेश की सेना के पूर्व प्रमुख जनरल अजीज अहमद का अमेरिका का वीजा भी रद कर दिया गया। जनरल अजीज पर भ्रष्टाचार और आपराधिक तत्वों के साथ संपर्क रखने का आरोप था।
अमेरिका ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के इस कदम से बांग्लादेश में इस्लामिक विचारधारा को मानने वाला विपक्ष एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन के लिए प्रेरित हो सकता है। वहीं बांग्लादेश के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की वजह से अब अन्य पुलिस अधिकारी शेख हसीना सरकार को गिराने के लिए प्रदर्शनकारियों के सड़कों पर होने वाले प्रदर्शनों के खिलाफ जोरदार कार्रवाई करने से परहेज कर सकते हैं। इस बीच पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कट्टर इस्लामिक संगठनों के सड़कों पर होने वाले हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए पुलिस की सख्त काईवाई ही विकल्प है।
कट्टरपंथी भारत और हिंदुओं के खिलाफ करते हैं दुष्प्रचार
ये इस्लामिक कट्टरपंथी मानते हैं कि शेख हसीना सरकार धर्म को नहीं मानती है और उसे सड़कों पर प्रदर्शन करके तथा आतंकी हमले करके गिराया जा सकता है। इसी वजह से शेख हसीना को हिंदुओं के खिलाफ हमले को रोकने के लिए भारी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात करना पड़ा था। ये कट्टरपंथी भारत और हिंदुओं के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं। वे सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी को भारत की पैदाइश करार देते हैं। वे अल्पसंख्यकों के साथ उसी तरह से बर्ताव करते हैं जैसे पाकिस्तानी सेना साल 1971 के पहले करती थी।
चर्चित लेखक लारेंस लिफ्सचुल्ज का मानना है कि साल 1975 में बांग्लादेश में हुए विद्रोह में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ था। इसमें बंगबंधु शेख मुजीबुरहमान के परिवार के कई सदस्य मारे गए थे। इसमें बंगबंधु की दो बेटियां बच गई थी जिसमें से एक शेख हसीना अभी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं। बांग्लादेश के सैन्य शासन के अंतिम दिनों में अमेरिका बांग्लादेश में सैन्य अड्डा बनाना चाहता था लेकिन साल 1996 में सत्ता में आने के बाद शेख हसीना ने इस अमेरिकी सैन्य अड्डे को खारिज कर दिया था। शेख हसीना ने कहा कि वह ऐसे देश को सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति नहीं देंगी जो उनकी पिता की हत्या के लिए जिम्मेदार है और बांग्लादेश की आजादी का विरोध करता था।
दरअसल, सिंधु और ब्रह्मपुत्र दोनों ही विशाल नदियां तिब्बत से शुरू होती हैं। सिंधु नदी पश्चिमोत्तर भारत से होकर पाकिस्तान के रास्ते अरब सागर में गिरती है। वहीं ब्रह्मपुत्र नदी पूर्वोत्तर भारत के रास्ते बांग्लादेश में जाती है। ये दोनों ही नदियां दुनिया की सबसे विशाल नदियों में शामिल हैं। चीन कई साल से ब्रह्मपुत्र नदी की दिशा को बदलने में लगा हुआ है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग जांगबो कहता है जो भूटान, अरुणाचल प्रदेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र और सिंधु दोनों ही नदियां चीन के शिंजियांग इलाके से निकलती हैं। सिंधु नदी लद्दाख के रास्ते पाकिस्तान में जाती है।
अमेरिकी अखबार इपोच टाइम्स से बातचीत में लंदन के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के डॉक्टर बुरजिन वाघमार ने कहा, 'वर्तमान प्रॉजेक्ट में ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को 1000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर तिब्बत के पठार से ले जाते हुए तकलमकान तक ले जाना है। तकलमकान दक्षिण-पश्चिम शिंजियांग का रेगिस्तानी इलाका है।' ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत से निकालकर शिंजियांग ले जाने का सबसे पहले सुझाव किंग राजवंश ने 19वीं सदी में दिया था लेकिन इस पर आने वाला खर्च, इंजिनियरिंग से जुड़ी चुनौती और नदियों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देखते हुए इसे लागू नहीं किया गया।
हाल ही में चीनी प्रशासन ने इस परियोजना को फिर शुरू किया है। इसका ट्रायल वर्तमान समय में यून्नान प्रांत में चल रहा है। यून्नान में सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इसी तकनीक का इस्तेमाल बाद में शिंजियांग में किया जाएगा। बताया जा रहा है कि 600 किलोमीटर लंबी यून्नान सुरंग का निर्माण अगस्त 2017 में शुरू हुआ था। इस परियोजना पर 11.7 अरब डॉलर का खर्च आ रहा है।
चीन ने पहले ही बह्मपुत्र की सहायक नदी शिआबूकू की धारा को पहले ही रोक दिया है। हाल ही में गलवान घाटी में सघर्ष के बाद चीन ने गलवान नदी के पानी को भी भारत में बहने से रोक दिया था। गलवान नदी सिंधु की एक सहायक नदी है और यह अक्साई चिन से निकलती है जिस पर चीन ने कब्जा कर रखा है। तिब्बती मामलों के जानकार क्लाउडे अर्पी के मुताबिक चीन सिंधु नदी की धारा को पश्चिमी तिब्बत में लद्दाख में घुसने से पहले ही उसे बदलकर शिंजियांग के तारिम घाटी की ओर मोड़ना चाहता है।