अमेरिका परमाणु पनडुब्बी डील करने के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में न्यूक्लियर बॉम्बर को तैनात करने जा रहा
इस हवाई ठिकाने पर एक स्क्वाड्रन ऑपरेशन केंद्र बनाना चाह रहा है। इसके अलावा 6 बॉम्बर्स के लिए पार्किंग एरिया भी बनाने की योजना है।
सिडनी: चीन की दादागिरी से जूझ रहे ऑस्ट्रेलिया की मदद के लिए अमेरिका ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। अमेरिका परमाणु पनडुब्बी देने के लिए ऑकस डील करने के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में अपने न्यूक्लियर बॉम्बर को तैनात करने जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया से आ रही खबरों के मुताबिक अमेरिका अपने परमाणु बम गिराने में सक्षम 6 बी-52 बॉम्बर्स को देश के उत्तरी इलाके में स्थित एक हवाई ठिकाने पर तैनात करने जा रहा है। अमेरिका अपने इन महाविनाशक बॉम्बर्स की तैनाती ऐसे समय पर कर रहा है जब प्रशांत महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए चीन सोलोमन द्वीप समूह पर नेवल बेस बनाने जा रहा है।
चीन का यह नेवल बेस ऑस्ट्रेलिया की सीमा से मात्र कुछ ही सौ समुद्री मील की दूरी पर है। एबीसी ने अमेरिकी दस्तावेजों के हवाले से खुलासा किया है कि बाइडन प्रशासन परमाणु बम ले जाने में सक्षम 6 बी-52 बॉम्बर्स को टिंडाल एयरबेस पर तैनात करने जा रहा है। यही नहीं अमेरिका की योजना है कि यहां पर इन विमानों को उतरने और ठहरने के लिए जरूरी सुविधाओं का निर्माण भी किया जाए। यह एयरबेस ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी इलाके में स्थित डार्विन शहर से 300 किमी की दूरी पर है।
अमेरिका ड्रैगन को चेतावनी देने के लिए इन विमानों को तैनात कर रहा
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्रालय ने अभी इस खबर की कोई पुष्टि नहीं की है। वहीं अमेरिकी वायुसेना ने कहा है कि उसके पास ऑस्ट्रेलिया में बॉम्बर्स को तैनात करने की क्षमता है ताकि महाविनाशक हवाई क्षमता का प्रदर्शन करके हम अपने दुश्मनों को सख्त संदेश दे सकें। विश्लेषकों का कहना है कि ताइवान पर चीन के हमले के खतरे को देखते हुए अमेरिका ड्रैगन को चेतावनी देने के लिए इन विमानों को तैनात करने जा रहा है। ये अमेरिकी बॉम्बर ऑस्ट्रेलिया में तैनात होने के बाद चीन के किसी भी शहर को तबाह करने की स्थिति में होंगे।
सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ बेक्का वासेर का कहना है कि अमेरिका चीन को यह संदेश देना चाहता है कि ताइवान पर उसका कोई भी कदम व्यापक स्तर पर भड़क सकता है। चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी इलाका अमेरिका के लिए बड़ा डिफेंस हब बन गया है। अमेरिका ने वादा किया है कि वह इस इलाके में अपने सैन्य ठिकानों को अपग्रेड करने के लिए 1 अरब डॉलर खर्च करेगा। इस हवाई ठिकाने पर एक स्क्वाड्रन ऑपरेशन केंद्र बनाना चाह रहा है। इसके अलावा 6 बॉम्बर्स के लिए पार्किंग एरिया भी बनाने की योजना है।