nuclear energy: परमाणु ऊर्जा के मामले में चीन से 15 साल पीछे है अमेरिका, रिपोर्ट का दावा

Update: 2024-06-17 10:26 GMT
uclear energy: परमाणु ऊर्जा के मामले में अमेरिका चीन से बहुत पीछे है। वॉशिंगटन की एक रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अगली पीढ़ी के रिएक्टरों को तैयार करने में चीन से 10 से 15 साल पीछे है। Information and Technology फाउंडेशन ने रविवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि चीन में 27 परमाणु रिएक्टर निर्माण की प्रक्रिया में हैं। चीन में इन रिएक्टर में से एक रिएक्टर को शुरू होने में औसतन सात साल लगते हैं जो दुनिया की किसी भी देश की तुलना में सबसे तेज़ है।
रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कहा है कि 2008 से 2023 के बीच, चीन का परमाणु पेटेंट में हिस्सा 1.3 प्रतिशत से बढ़कर 13.4 प्रतिशत हो गया। अब चीन न्यूक्लियर फ्यूजन पेटेंट आवेदनों की संख्या में सबसे आगे है। संस्थान ने कहा कि इस क्षेत्र में बीजिंग का तेजी से आगे बढ़ा है। इसकी वजह उसकी परमाणु ऊर्जा विकसित करने की "स्पष्ट राष्ट्रीय रणनीति" है, जिसमें कम ब्याज वाली फंडिंग, Feed-in tariff और आसान रेगुलेटरी अप्रूवल शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, "चीन की सरकार ने बीजिंग की व्यापक ऊर्जा रणनीति के रूप में घरेलू परमाणु रिएक्टर निर्माण को बहुत प्राथमिकता दी है।"
रिपोर्ट में कहा गया है, "सबसे पहले, यह धारणा गलत है कि America एक इनोवेटर है और इसीलिए प्रतिस्पर्धा में वह सबसे आगे होगा। इनोवेटर्स कम लागत वाली इंडस्ट्रीज में अपनी लीडरशिप आसानी से खो सकते हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका के कई उद्योग जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, सोलर पैनल, टेलीकॉम इक्विपमेंट, मशीन टूल्स शामिल है जिसमें अब अमेरिका ग्लोबल लीडर नहीं है। दूसरा चीन सिर्फ एक नकल करने वाला है और हमेशा इसका अनुसरण करने वाला देश ही बना रहे ऐसा भी जरूरी नहीं है।हालांकि परमाणु ऊर्जा उत्पादन के मामले में अमेरिका अब भी सबसे आगे है। अमेरिका के पास 94 रिएक्टर हैं जो वैश्विक उत्पादन का लगभग एक तिहाई हिस्सा हैं। लेकिन अमेरिका ने पिछले दशक में केवल दो नए रिएक्टर बनाए हैं। जिनमें से दोनों को बनाने में कई साल की देरी हुई और बजट से अरबों डॉलर ज्यादा खर्च हुए। चीन ने दिसंबर में पूर्वी शेडोंग में शिदाओ खाड़ी में दुनिया के पहले फोर्थ जेनरेशन के परमाणु संयंत्र का उद्घाटन किया था। चीनी मीडिया ने पिछली पीढ़ियों की तुलना में अधिक सुरक्षित और अधिक प्रभावशाली बताया है।

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