अमेरिका ने भारत-रूस रक्षा संबंधों पर जताई नाराजगी, कहा- हम ईमानदारी से विरोध करते हैं

भारत किसी भी वजह से नाराज होता है तो अमेरिका को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

Update: 2022-04-24 10:05 GMT

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) में भारत की तटस्थ विदेश नीति (Indian Foreign Policy) को लेकर अमेरिका (US) और यूरोप के देश परेशान है. राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) का प्रशासन भारत पर दबाव डालने (India Russia Relations) लिए लगातार दबाव बना रहा है. इस बीच ये भी साफ है कि अमेरिका इस मामले को लेकर भारत के साथ अपने संबंध खराब नहीं करना चाहता है. हालांकि अमेरिका आए दिन भारत-रूस के रक्षा संबंधों (India Russia Defence Relations) का विरोध करता रहता है.

रूस पर निर्भरता का विरोध
दरअसल अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि अमेरिका नहीं चाहता कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस (India Russia Relations) पर निर्भर रहे. हम ईमानदारी से इसका विरोध करते हैं. हालांकि किर्बी ने भारत और अमेरिका की रक्षा साझेदारी की जमकर तारीफ की. किर्बी ने ये भी कहा, 'हम भारत समेत अन्य देशों को लेकर बहुत स्पष्ट हैं. हम नहीं चाहते कि ये देश रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहें. हम ईमानदारी से इसका विरोध करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इसके साथ ही भारत के साथ रक्षा साझेदारी को भी अमेरिका महत्व देता है. हम साथ-साथ आगे बढ़ने के उपाय तलाश रहे हैं.
डिप्टी NSA ने धमकाया था
बता दें कि इससे पहले अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर धमकी दी थी. उन्होंने कहा था कि अगर चीन (China) कभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का उल्लंघन करता है तो भारत को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि रूस उसकी मदद के लिए आगे आएगा. दलीप सिंह ने यह भी कहा था कि अमेरिका किसी भी देश को रूसी केंद्रीय बैंक के साथ वित्तीय लेनदेन में शामिल होते नहीं देखना चाहेगा. डिप्टी एनएसए के इस बयान को यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत की तटस्थता के कारण बाइडेन प्रशासन की तिलमिलाहट के तौर पर देखा गया था.
भारत की अहमियत
अमेरिका जानता है कि वह भारत को नाराज कर भारत-प्रशांत क्षेत्र में खुद को एक ताकतवर मुल्क के रूप में स्थापित नहीं कर सकता है. एशिया के कई इलाकों में अमेरिका की फौज तैनात है, लेकिन चीन के खिलाफ उसे भारत के साथ की जरूरत काफी ज्यादा है. इन तथ्यों के इतर भारत पूरी दुनिया के लिए अब एक बहुत बड़ा बाजार बन चुका है. ऐसे में अगर भारत किसी भी वजह से नाराज होता है तो अमेरिका को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
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