अमेरिका- चीन की तनातनी के बीच विदेश में पढ़ने जा रहे चीनी स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर खतरा...क्या छात्र America में पढ़ने के बजाए करते हैं सीक्रेट एजेंट का काम

अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीनी छात्रों को अमेरिका सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए बहुत से वीजा रद्द करने का आदेश दिया.

Update: 2020-10-10 13:34 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका और चीन की तनातनी के बीच विदेश में पढ़ने जा रहे चीनी स्टूडेंट्स की पढ़ाई खतरे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीनी छात्रों को अमेरिका सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए बहुत से वीजा रद्द करने का आदेश दिया. उनके मुताबिक चीनी छात्र अमेरिका में घुसकर वहां की तकनीक और दूसरी गुप्त चीजों को अपने देश ले जा रहे हैं. जानिए, क्या वाकई में चीनी छात्र अमेरिकी सेफ्टी पर खतरा हैं या फिर कमाई का जरिया रहे.

हजारों छात्रों का वीजा रद्द

सितंबर महीने में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक एलान किया कि 1000 से ज्यादा चीनी स्टूडेंट्स का वीजा रद्द हो चुका है. ये घोषणा अमेरिका-चीन के बीच तनाव के ऐसे समय में आई है, जब दोनों ही देश एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. खासतौर पर अमेरिका को संदेह है कि चीन के अमेरिका स्थित कर्मचारियों से लेकर वहां के स्टूडेंट्स भी अमेरिका की खुफिया जानकारियां चुराते हैं.

हालांकि चीन के छात्रों का अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान रहता है. हर साल भारी संख्या में चीनी अमेरिका में डिग्री और मास्टर्स के लिए आते हैं. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी स्टूडेंट्स में अकेले चीनियों ने साल 2018-19 में 14.9 बिलियन डॉलर से ज्यादा का योगदान किया. ये अमेरिका कॉलेज-यूनिवर्सिटीज की सालाना कुल कमाई का करीब एक तिहाई हिस्सा है.

क्या पढ़ते हैं अमेरिका में

चीनी युवा अमेरिका में मूल तौर पर तकनीक से जुड़े विषय पढ़ने के लिए आते हैं. इनमें रोबोटिक्स, एविएशन, इंजीनियरिंग और हाईटेक मैन्युफैक्चरिंग जैसे विषय मुख्य हैं. अब ट्रंप ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी की नामी-गिरामी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट चीनी युवा अपने यहां लौटकर अपनी सेना और लैब को अमेरिका के बारे में अहम जानकारियां देते हैं. ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. यही देखते हुए अब धड़ाधड़ चीनी स्टूडेंट्स का वीजा कैंसल हो रहा है.

दूसरे देश भी अमेरिका की राह पर

चीनी युवाओं के साथ ये रवैया अमेरिका ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे अपना रहे है . नतीजा ये है कि खुद चीन के भीतर अव्यवस्था पैदा हो रही है. बता दें कि वहां लौटने वाले 60 प्रतिशत से ज्यादा चीनियों के पास कम से कम एक मास्टर्स डिग्री है. ऐसे में वे चीन में ही रह रहे 8.74 मिलियन ग्रेजुएट्स के साथ प्रतियोगिता में होंगे, जो पहले से ही बेरोजगारी झेल रहे हैं.

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चेताया

वैसे ट्रंप के चीनियों से सुरक्षा पर खतरे के बयान के पीछे खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (FBI) का हाथ है. अमेरिकी मीडिया नेशनल पब्लिक रेडियो की एक रिपोर्ट के मुताबिक FBI ने ही इस मामले में कई टॉप अमेरिकी कॉलेजों को चेताया. उसने कहा कि क्या कॉलेज इस बात पर नजर रखते हैं कि चीनी स्टूडेंट्स जिस लैब या लाइब्रेरी में हैं, उसका डाटा सुरक्षित है. खासकर एविएशन और रोबोटिक्स जैसे विषय पढ़ने वाले चीनी छात्रों पर खास नजर रखने की बात कही गई.

कॉलेजों को कहा नजर रखने

चीनी छात्रों पर नजर रखने के लिए FBI ने एक बैठक बुलाई, जिसमें अमेरिकन काउंसिल ऑफ एजुकेशन के 70 कॉलेजों के हेड आए और उन्हें इस बारे में सचेत रहने को कहा गया. अब कई कॉलेज इससे अलग मत रखने के बाद भी ये सोचने पर मजबूर हो चुके हैं कि उन्हें महत्वपूर्ण शोध कार्यों के लिए क्या चीनी छात्रों को लेना चाहिए. इसकी एक वजह अमेरिका की एजुकेशन पॉलिसी भी है, जिसके तहत रिसर्च के लिए सरकार काफी पैसे फंड करती है और लैब आदि की व्यवस्था भी करवाती है.

हले से ही चीन कटघरे में

अमेरिका और यूरोपीय देश चीन पर लंबे समय से आरोप लगा रहे हैं कि वो सालों से उनकी तकनीक, रिसर्च और ट्रेड सीक्रेट्स चुरा रहा है. अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट में वहां की कंपनियां बड़े पैमाने पर ऐसे मामले लेकर जा रही हैं. हाल के बरसों में जिस तरह चीन ने डिफेंस से लेकर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में नई तकनीक के बल पर छलांग लगाई है, उसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. बता दें कि कुछ साल पहले तक चीन एयरोस्पेस और एविएशन सेक्टर में बहुत पीछे था.

एकदम से हुआ वहां विकास

पिछले एक-डेढ़ दशक में उसने जिस तरह की तकनीक हासिल कर अपनी सेना का आधुनिकीकरण किया है, उससे पूरी दुनिया हतप्रभ रह गई. खासकर चीन द्वारा बनाए जा रहे चौथी जेनरेशन के फाइटर जेट के निर्माण से. यही हाल चीन के दूसरे सेक्टर्स का था. मुश्किल से डेढ़ दशक पहले तक चीन फार्मा सेक्टर से लेकर दूसरे अहम सेक्टर्स में काफी पीछे था लेकिन अचानक ही उसने हर क्षेत्र में जबरदस्त छलांग लगा ली. इसके लिए दूसरे देशों में काम कर रहे चीनी रिसचर्रों के अलावा चीनी छात्र भी एजेंट का काम करते हैं और कथित तौर पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी करते हैं.

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