वर्ल्ड फोरम में पीएम मोदी की नाक कटवाते कथित हिंदूवादी

Update: 2023-06-23 10:41 GMT

उत्तराखंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में अपनी संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया कि भारत में धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं होता और उसके चंद ही घंटों बाद देहरादून में हिंदूवादियों ने इस दावे की पोल खोल दी। देहरादून में हिंदूवादियों ने पिता पुत्र पर जबरन जय श्री राम के नारे लगाने का दबाव बनाया और हंगामा किया।

दरअसल वाक्या कुछ यूं है कि देहरादून के सेलाकुंई में भाऊवाला इलाके में मुस्लिम पिता पुत्र को कुछ लोगों ने घेर लिया और उनपर जबरन जय श्री राम बोलने का दबाव बनाने लगे। इसके बाद हंगामा हो गया। बात धीरे धीरे आसपास फैली। इलाके के स्थानीय नेता अकील अहमद भी मौके पर पहुंचे गए। इसके बाद हंगामा बढ़ने लगा। लोगों ने पुलिस थाने में इसे लेकर अपनी नाराजगी जताई और मुकदमा दर्ज करने की मांग की। इसके बाद पुलिस ने मामला तो दर्ज किया लेकिन हल्की धाराओं में।

देहरादून की ये घटना कई बड़े सवाल भी खड़े करती है। हिंदूवादियों ने एक तरह से पीएम मोदी के दावों को ही गलत साबित कर दिया।

अमेरिका में क्या पूछा गया ?

दरअसल पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान अमेरिका के अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल की पत्रकार सबरीना सिद्दीक़ी ने पीएम मोदी से सवाल पूछा।

सिद्दिक़ी ने पीएम मोदी से पूछा, “आप और आपकी सरकार आपके देश में मुसलमानों समेत दूसरे समुदायों के अधिकारों को बेहतर बनाने और अभिव्यक्ति की आज़ादी को सुनिश्चित करने के लिए कौन से क़दम उठाने के लिए तैयार हैं।”

इस पर पीएम मोदी ने कहा, “मुझे आश्चर्य हो रहा है कि आप कह रहे हैं कि लोग कहते हैं…लोग कहते हैं नहीं, भारत एक लोकतंत्र है और जैसा राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है।”

मोदी ने कहा, ”लोकतंत्र हमारी स्पिरिट है. लोकतंत्र हमारी रगों में है, लोकतंत्र को हम जीते हैं। और हमारे पूर्वजों ने उसे शब्दों में ढाला है, संविधान के रूप में। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूलभूत मूल्यों को आधार बनाकर बने हुए संविधान के आधार पर चलती है। हमारा संविधान और हमारी सरकार…और हमने सिद्ध किया है कि लोकतंत्र कैन डिलिवर।”

”और जब मैं डिलिवर शब्द का प्रयोग करता हूं तो जाति, पंथ, धर्म या लैंगिक स्तर पर किसी भी भेदभाव की वहां जगह नहीं होती है। और जब लोकतंत्र की बात करते हैं तो अगर मानवीय मूल्य नहीं हैं, मानवता नहीं है, मानवाधिकार नहीं हैं, फिर तो वो डेमोक्रेसी है ही नहीं।

और इसलिए जब आप डेमोक्रेसी कहते हैं, जब उसे स्वीकार करते हैं, और जब हम डेमोक्रेसी को लेकर जीते हैं, तब भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता। और इसलिए भारत सबका साथ, सबका विकास, और सबका विश्वास और सबका प्रयास के मूलभूत सिद्धांतों को लेकर हम चलते हैं।

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