air pollution: रिमोट सेंसिंग तकनीक शहरों में वायु प्रदूषण रोकने में हो सकती है बहुत कारगर
शहरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है
शहरों (Cites) में वायु प्रदूषण (Air Pollutio) एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. इसमें सबसे बड़ा योगदान उन वाहनों का है जो जीवाश्म ईंधन का उपयोग करते है. आज भी दुनिया के बहुत से शहरों में जीवाश्म ईंधन ही उपयोग में लाया जाता है. जिनके एक साथ ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से शहरी प्रदूषण विकराल रूप लेता जा रहा है. नए अध्ययन में बताया गया है कि वाहनों के उत्सर्जन को पकड़ने के लिए सड़क के पास लगाए गए सेंसर्स बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं. इसके मुताबिक रिमोट सेंसिंग तकनीक (Remote Sensing Technique) शहरों की हवा की गुणवत्ता सुधार सकती है.
वाहनों की भागीदारी
दुनिया के कई शहरों में वाहनों में पर्याप्त रखरखाव हो रहा है इसकी जांच के लिए सड़कों के किनारे खास रिमोट सेंसिंग वाले सेंसर लगाए जा रहे हैं. इस तरह के कदम अहम माने जा रहे हैं क्योंकि शहरों में वाहनों का उत्सर्जन सभी जगह वायु प्रदूषण में बड़ा भागीदार है और जलवायु के साथ करोड़ों लोगो की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है.
जानलेवा उत्सर्जन
वायु प्रदूषण को रोकना संयुक्त राष्ट्र के संधारणीय विकास के प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है. इस अध्ययन के सह लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी के प्रोफसर जॉन झोऊ का कहना है कि कार के इंजन से निकले धुएं में कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जहरीली गैसें और कणिकीय पदार्थ होते हैं. इनसे फेफड़ों का कैंसर, अस्थमा जैसी कई बीमारियां होती हैं.
क्या करते हैं उपकरण
झोऊ का कहना है कि रिमो सेंसिंग उपकरण एक विशेष सेंसर और लाइट बीम का उपयोग कर वाहन से निकलने वाले धुएं में रासयानों की मात्रा का मापन करते हैं. कैमरा लाइसेंस प्लेट का नबंर रिकॉर्ड करता है. इससे उस वाहन की फौरन पहचान हो जाती है जिससे उसकी पड़ताल कर उसे सुधारा जा सके.
बहुत उपयोगी हो जाते हैं ये उपकरण
नई कारों को तो नए उत्सर्जन मानकों को मानना पड़ता है. लेकिन पुरानी कारें, ज्यादा चल चुकी नए मानकों के हिसाब से नहीं बदली गई कारें, सही रखरखाव के अभाव में रखे वाहन खराब हो सकते हैं और उच्च उत्सर्जन स्तरों में खासा योगदान देते हैं जिससे वायु प्रदूषण का स्तर बेहतर हो जाता है.
हॉन्ग कॉन्ग का कार्यक्रम
यूटीएस के शोधकर्ताओं ने हॉन्ग कॉन्ग पर्यावरण संरक्षण विभाग और हॉन्ग कॉन्ग वोकेशनल ट्रेनिंग काउंसिल के साथ साझेदारी कर हॉन्ग कॉन्ग के रिमोट सेंसिंग कार्यक्रम क्रियान्वयन कार्यक्रम की प्रभावोत्पादकता और सटीकता का आंकलन किया. उन्होंने सितंबर 2014 से लेकर दिसंबर 2018 तक हुए इस कार्यक्रम के आंकड़ों का विश्लेषण किया.
कितने वाहन मिले
कार्यक्रम में रिमोट सेंसिंग के जरिए 16365 उच्च उत्सर्जन करने वाले एलपीजी और पेट्रोल वाहनों की पहचान की गई थी और उन्होंने उत्सर्जन परीक्षण नोटिस दिया गया. इनमें से 96.3 प्रतिशत उच्च उत्सर्जकों वाहनों की सफलता पूर्वक मरम्मत की गई जिसके बाद उन्होंने उत्सर्नज परीक्षण पासकिया.
साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में पाया गया कि हॉन्ग कॉन्ग के रिमोट सेंसिंग क्रियान्वयन कार्यक्रम वायुमंडल में हानिकारक रसायनों को कम कर ने लगातार उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है. इस अध्ययन के नतीजे नीति निर्मातों के लिए इस तरह के कार्यक्रमों को लागू करने के लिए मददगार हो सकते हैं.