मानवीय गलियारे बनाने पर हुए समझौते का असर दिखा, 5200 यूक्रेनियाई लोगों को निकाला गया

अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होता है और उससे गंभीर मानवीय संकट आ जाता है।

Update: 2022-03-27 05:32 GMT

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध थमता नहीं नजर आ रहा है। आज युद्ध का 32वां दिन है और रूसी सेना द्वारा हमले अभी तक जारी है। इस बीच दोनों देशों द्वारा मानवीय गलियारे बनाने पर हुए समझौते का असर दिख रहा है। हर रोज इसके माध्यम से हजारों लोग यूक्रेन से निकाले जा रहे हैं, कल भी कुल 5,200 लोगों को निकाला गया है। यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरीना वीरेशचुक के अनुसार तय किए गए 10 मानवीय गलियारे पूर्ण रूप से सफल रहे हैं।


मारियोपोल से निकाले गए 4,000 लोग

बता दें कि ज्यातर मानवीय गलियारे उसी जगह से लोगों को निकालने के लिए बनाए गए हैं जहां रूसी हमले तेजी से हो रहे हैं। यूक्रेन के मीडिया आउटलेट द कीव इंडिपेंडेंट ने बताया कि 4,000 लोगों को मारियोपोल से कल ही निकाला गया है। इस बीच रूस अपने हमले लगातार बढ़ा रहा है, रूस ने कल रिव्ने ओब्लास्ट में एक तेल डिपो पर हमला किया जिसमें बढ़े नुकसान की आशंका है। दूसरी ओर चेरनोबिल से निकासी के लिए बनाए गए उत्तरी यूक्रेन के एक शहर स्लावुटिक को रूसी सेना ने तीन दिनों की भारी लड़ाई के बाद अपने कब्जे में ले लिया है।
3 मार्च को मानवीय गलियारे पर बनी थी सहमति

यूक्रेन और रूस के बीच कई बार मानवीय गलियारे बनाने को लेकर वार्ता हुई थी लेकिन दोनों देशों में 3 मार्च को नागरिक निकासी और मानवीय सहायता वितरण के लिए मानवीय गलियारे स्थापित करने के लिए सहमती बनी थी। इस सहमति के बावजूद आज तक निकासी का कार्य धीमा और सीमित रहा है।

मानवीय गलियारा ऐसे करता है काम

बता दें कि मानवीय गलियारे तात्कालिक रूप से किसी भी युद्ध को रोकने के तरीकों में से एक माना जाता है। यह ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां निश्चित समय के लिए कोई हमला नहीं किया जाता है जिसके लिए दोनों पक्ष सहमत होते हैं। इन गलियारों को बनाने का मकसद लड़ाई के क्षेत्र में खाद्य सामग्री, दवाइयों की आपूर्ति के साथ लोगों को वहां से सुरक्षित निकालना होता है। इन गलियारों की जरूरत ज्यादातर तब पड़ती है जब युद्ध में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होता है और उससे गंभीर मानवीय संकट आ जाता है।

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