डेनमार्क और कोसोवो के बीच हुआ समझौता, सरकार मोटी रकम खर्च करने को तैयार
अभी इस समझौते को कोसोवो की संसद में रखा जाएगा और उसकी मुहर के बाद ही दोनों देश इस दिशा में आगे बढ़ सकेंगे.
अपनी जेलों (Prisons) में बढ़ती कैदियों की भीड़ के चलते अब डेनमार्क (Denmark) किराए पर जेल लेने जा रहा है. इस संबंध में उसने कोसोवो (Kosovo) से समझौता किया है, जिसके तहत 300 Prison Cells किराए पर लिए जाएंगे. डेनमार्क पांच साल की शुरुआती अवधि के लिए हर साल 15 मिलियन यूरो (करीब 1,28,17,20,000 रुपये) का भुगतान करेगा, और ग्रीन एनर्जी के लिए फंड जुटाने में भी कोसोवो की मदद करेगा.
करीब 800 बैरक पड़ी हैं खाली
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, किराए की इन जेलों में डेनमार्क से निर्वासित अपराधियों को रखा जाएगा और उन पर डेनमार्क के कानून लागू होंगे. कोसोवो की जेलों में फिलहाल 700 से 800 ऐसी बैरक हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इसलिए अब वो इन्हें किराए पर देकर सालाना मोटी कमाई करेगा. एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों सरकारों ने सोमवार को एक 'राजनीतिक घोषणा' पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत जेलों को किराए पर लिया जा रहा है.
जेलों पर कम होगा बोझ
कुल मिलाकर, कोसोवो को 2023 से राजधानी प्रिस्टिना से लगभग 50 किमी दूर, गजिलान में स्थित जेलों को किराए पर देने से अगले 10 वर्षों में कुल 210 मिलियन यूरो प्राप्त होने वाले हैं. डेनिश न्याय मंत्री निक हैकेरुप (Nick Haekkerup) ने एक बयान में कहा कि इस समझौते से हमारी जेलों और उसके अधिकारियों का बोझ कुछ कम होगा. साथ ही यह निर्वासन की सजा पाने वाले तीसरे देश के नागरिकों को भी स्पष्ट संकेत भेजता है कि आपका भविष्य डेनमार्क में नहीं है.
फैसले का विरोध भी हुआ शुरू
वहीं, इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. विरोधियों का कहना है कि डेनमार्क को अवांछित विदेशी दोषियों को दूसरे देशों में या उनके परिवारों से दूर नहीं भेजना चाहिए. हालांकि, डेनमार्क का कहना है कि कोसोवो की जेलों पर डेनमार्क का कानून ही लागू होगा और कैदियों को उनके परिजनों से मिलने की इजाजत होगी. वहीं, कोसोवो के न्याय मंत्री अल्बुलेना हक्सिउ (Albulena Haxhiu) ने कहा कि कोसोवो भेजे गए अपराधी उच्च जोखिम वाले कैदी नहीं होंगे. आतंकवाद के मामलों में दोषी ठहराए गया या लाइलाज बीमारी से पीड़ित अपराधियों को कोसोवो नहीं भेजा जाएगा.
इन देशों ने भी किराये पर ली है जेल
वैसे, यूरोप में कैदियों को एक्सपोर्ट करने का आइडिया नया नहीं है, क्योंकि नॉर्वे और बेल्जियम पहले नीदरलैंड में जेल किराए पर ले चुके हैं. डेनमार्क का कहना है कि जेल किराए पर लेने का फैसला देशहित में है. क्योंकि देश की जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ रही है और जेल अधिकारियों की संख्या में कमी देखने को मिली है. हालांकि, अभी इस समझौते को कोसोवो की संसद में रखा जाएगा और उसकी मुहर के बाद ही दोनों देश इस दिशा में आगे बढ़ सकेंगे.