अमेरिका में कोरोना के कारण उम्मीदों के बाद अब भरोसा टूटने का दौर

अमेरिका में कोरोना के कारण उम्मीदों के बाद अब भरोसा टूटने का दौर

Update: 2021-04-04 15:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  अमेरिका में जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए टीकाकरण में आई तेजी से पैदा हुई उम्मीदें अब टूट रही हैं। देश के कई राज्यों में संक्रमण की चौथी लहर आ जाने से यह भरोसा कमजोर हुआ है कि टीकाकरण से महामारी से मुक्ति मिल जाएगी। इस नई स्थिति को लेकर ह्वाइट हाउस के भीतर भी असमंजस देखने को मिला है। अमेरिकी मीडिया में आई खबरों से साफ है कि ह्वाइट हाउस लोगों में उम्मीद बनाए रखना चाहता है, लेकिन वह साथ ही यह भी चाहता है कि लोग सावधानी में कोई ढिलाई ना दें।

टीवी चैनल सीएनएन की एक खबर के मुताबिक ह्वाइट हाउस में हुई एक बैठक में राष्ट्रपति बाइडन ने इस पर गहरी चिंता जताई कि बहुत से अमेरिकी अब संक्रमण रोकने के लिए जरूरी सावधानियों का पालन नहीं कर रहे हैं। सीएनएन के मुताबिक यह बैठक पिछले शुक्रवार को हुई थी। इसमें महामारी के ताजा हालात का जायजा लिया गया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा, 'मामले फिर से बढ़ रहे हैं। कई जगहों पर वायरस अधिक तेजी से फैल रहा है। कुछ राज्यों में मृत्यु की संख्या बढ़ रही है। इसलिए मैं सबसे गुजारिश करता हूं कि हमने बड़ी मुश्किल से जो प्रगति की है, उसे हाथ से ना जाने दें।'

पिछले शुक्रवार को अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की निदेशक डॉ. रोशेल वालेंस्की ने एक प्रेस कांफ्रेंस में लोगों से अपील की कि वे सावधानियां बरतना जारी रखें। मीडिया में छपी रिपोर्टों में बताया गया कि हफ्तों तक आशावादी बातें कहने के बाद इस प्रेस कांफ्रेंस में डॉ. वालेंस्की का अंदाज गहरी चिंता से भरा नजर आया। सीडीसी ने शुक्रवार को यात्राओं से संबंधी नए दिशानिर्देश भी जारी किए। डॉ. वालेंस्की ने कहा कि जिन लोगों ने टीका लगवा लिया है, उनके यात्रा करने में जोखिम कम है। फिर भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि के कारण यात्रा ना करना ही उचित है।
एक ताजा जनमत सर्वेक्षण में 65 फीसदी अमेरिकियों ने कोरोना वायरस से निपटने के राष्ट्रपति बाइडेन के प्रयासों का समर्थन किया है। इसके बावजूद देश में चल रहे टीकाकरण पर भी कुछ सवाल उठे हैं। मसलन, एक रिपोर्ट में बताया गया कि उत्पादन संबंधी खामियों के कारण वैक्सीन के डेढ़ करोड़ डोज बर्बाद हो गए। इसका मतलब यह समझा गया है कि देश अभी भी कोरोना संकट से निपटने के लिहाज से पूरी तरह दक्ष नहीं बन पाया है। उधर विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि अभी देश में दस करोड़ लोगों को वैक्सीन के डोज ही लगे हैं। फिर 15 करोड़ लोग अभी ऐसे बचे हैं, जिन्हें इसका एक भी डोज नहीं लगा है। ऐसे में संक्रमण फैलने की गुंजाइश पूरी तरह बची हुई है।
इस बीच स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि सबसे बड़ी अनिश्चितता वायरस के नए वैरिएंट्स (रूपों) को लेकर है। B.1.1.7 नाम का स्ट्रेन ऐसे व्यवहार कर रहा है, जो नया है। इसका सबसे ज्यादा असर मिशिगन राज्य में देखा गया है। वहां अस्पतालों में भर्ती हुए नए कोरोना मरीजों में बड़ी संख्या नौजवानों की है। विशेषज्ञों के मुताबिक इससे पहले लगाए गए कई अनुमान अब गलत साबित होते दिख रहे हैं। ह्वाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा है कि वह अनिश्चित स्थितियों के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग में कहा है कि ह्वाइट हाउस ने पैदा होने वाली दर्जनों स्थितियों पर विचार किया है। इनमें एक संभावित स्थिति यह भी है कि महामारी की नए सिरे से पहले जितनी गंभीर स्थिति पैदा हो जाए। फिलहाल जोर टीकाकरण की गति अधिक से अधिक तेज करने पर है, लेकिन बाकी एहतियात भी बरतने पर जोर दिया जा रहा है। इसलिए लोगों से संक्रमण से बचने के उपायों का सख्ती से पालन करने की अपील फिर से जारी की गई है।


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