नई दिल्ली: लीबिया में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है. लीबिया की प्रतिद्वंद्वी सरकारों के समर्थकों के बीच संघर्ष में करीब 32 लोगों के मारे जाने के बाद हालात बिगड़ गए हैं. प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा और फाति बाशागा के समर्थकों के बीच बढ़ते तनाव के कुछ महीनों के बाद हिंसक झड़प हुई है. इस हिंसा के बाद फिलहाल राजधानी त्रिपोली में तनावपूर्ण शांति है. सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है.
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार की शाम को त्रिपोली में कुछ हथियारबंदों ने हिंसा को अंजाम दिया. कई जगहों पर आगजनी की. इस दौरान एक अस्पताल में भी तोड़फोड़ की. कई इमारतों को आग के हवाले कर दिया. लीबिया की राजधानी त्रिपोली में 2020 में हुए सीजफायर के बाद ऐसी हिंसा भड़की है.
एएफपी के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हिंसक झड़पों में करीब 32 लोगों की मौत हो गई है. लीबिया में पिछले दो साल से सामान्य तौर पर शांति रही, लेकिन रविवार को सेना और विद्रोही गुटों के बीच जमकर फायरिंग हुई.
2020 में हिंसक झड़प के बाद ऐसे हालात दोबारा बने हैं. दरअसल, लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को अमेरिका ने दखल देकर शांत करा दिया था. पूर्व गृह मंत्री बाशाघा ने पहले त्रिपोली में सत्ता संभालने के लिए हिंसा के इस्तेमाल से इनकार किया, लेकिन संकेत दिया था कि जरूरत पड़ने पर वह ताकत का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.जानकारी के मुताबिक दोनों गुटों को पश्चिम देशों का समर्थन प्राप्त है. 2011 में तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी के तख्तापलट और हत्या के बाद लीबिया अराजकता में डूब गया था, इसमें कई सशस्त्र समूह और विदेशी शक्तियां सत्ता के शून्य को भरने की भरसक कोशिश में लगी हुई हैं.
प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा के पद छोड़ने से इनकार करने से गतिरोध काफी बढ़ गया है. वहीं हिंसक झड़पों के बाद दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. जबकि विश्व शक्तियों ने शांति की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र के लीबिया मिशन ने नागरिक आबादी वाले इलाकों में अंधाधुंध फायरिंग औऱ संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा है कि इसे तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए, दुश्मनी की कोई जगह नहीं है, इसे खत्म करना ही बेहतर है. शनिवार को दबीबा ने एक वीडियो पोस्ट किया.
दबीबा की सरकार ने कहा कि पश्चिमी शहर में हिंसक झड़पों पर रोकथाम के लिए एक मीटिंग बुलाई गई थी, लेकिन बातचीत के बाद संघर्ष बढ़ गया. वहीं बाशाघा ने इस तरह की बातचीत से इनकार किया है. साथ ही प्रधानमत्रीं दबीबा पर अवैध रूप से प्रशासन चलाने और सत्ता के मोह का आरोप लगाया. वहीं स्थानीय मीडिया के मुताबिक बाशाघा समर्थक लड़ाकों का एक समूह मिसराता से राजधानी त्रिपोली की ओर बढ़ रहा था, जो कि बाद में वापस लौट आया.