श्रीलंका के बाद पाकिस्‍तान में भी आर्थिक मंदी के बादल मंडरा, विपक्ष ने घेरा

आलम यह है कि पाकिस्‍तानी रुपये ने पिछले दो दशक में सबसे खराब प्रदर्शन किया है।

Update: 2022-07-24 08:37 GMT

श्रीलंका के बाद पाकिस्‍तान में भी आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे हैं। पाकस्तिान में शहबाज शरीफ की सरकार के आने के बाद भी देश के आर्थिक हालात जस के तस बने हुए हैं। पाकिस्‍तानी रुपया पिछले दो दशक में सबसे खराब स्थिति में पहुंच गया है। इससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। निवेशकों को अगला श्रीलंका बनने का डर सता रहा है। इस बीच शहबाज सरकार ने पाकिस्‍तान को इस संकट से बचाने के लिए सरकारी संपत्तियों को व‍िदेश‍ियों बेचने का ऐलान किया है। पाकिस्‍तान में सरकारी संपत्तियों को विदेशियों को बेचने पर सियासत तेज हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश की खराब हालत पर मौजूदा सरकार को दोषी माना है।


1- पाकिस्‍तान में इमरान सरकार हटने के बाद भले ही राजनीतिक अस्थिरता का दौर खत्‍म हो गया हो, लेकिन देश में एक नया संकट सामने आ गया है। श्रीलंका की तरह पाकिस्‍तान पर भी डिफाल्‍टर होने का खतरा मंडराने लगा है। इस बीच पंजाब प्रांत में सत्‍ता बचाने में जुटी शहबाज सरकार ने डिफाल्‍ट से बचने के लिए देश की संपत्तियों को आपातकालीन बिक्री के तहत विदेशी देशों को बेचने का फैसला लिया है। इसके लिए पाकिस्‍तानी कैबिनेट ने हरी झंडी देते हुए अध्‍यादेश को अनुमति दे दी है।

2- शहबाज हुकूमत ने इसकी शुरुआत करते हुए गुरुवार को सरकारी तेल और गैस कंपनी और पावर प्‍लांट में अपनी हिस्‍सेदारी को संयुक्‍त अरब अमीरात को बेचने के अध्‍यादेश पर हस्‍ताक्षर कर दिया। शहबाज सरकार को उम्‍मीद है कि इस समझौते से दो से ढाई अरब डालर हासिल किया जा सकता है। इससे पहले यूएई ने कर्ज नहीं लौटाने पर पाकिस्‍तान को नकदी देने से मना कर दिया था। उसने कहा था कि पाकिस्‍तान अपनी कंपनियों को खोल दे ताकि उसमें निवेश किया जा सके। सरकार के इस फैसले को इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है।

3- पाकिस्‍तान में मंदी से बचाने की हड़बड़ी इतनी ज्‍यादा थी कि छह प्रासंगिक कानूनों को भी बायपास कर दिया गया। यही नहीं शहबाज सरकार ने प्रांतों की सरकारों को बाध्‍यकारी तरीके से जमीनों के अधिग्रहण करने के आदेश जारी करने की शक्ति अपने पास ले ली। हालांकि, अभी तक राष्‍ट्रपति आरिफ अल्‍वी ने इस अध्‍यादेश पर हस्‍ताक्षर नहीं किया है। शहबाज सरकार ने अदालतों को संपत्तियों को बेचने के खिलाफ दायर किसी भी याचिका पर सुनवाई से रोक दिया है।

4- फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक डालर के मुकाबले पाकिस्‍तानी रुपया 7.6 फीसद गिरकर अब 228 रुपये तक पहुंच गया है। यह अक्‍टूबर 1998 के बाद के पाकिस्‍तानी रुपये में सबसे बड़ी गिरावट है। यही नहीं अगर पाकिस्‍तान को आईएमएफ से 1.2 अरब डालर मिल भी जाते हैं, तो भी यह उसके भुगतान संतुलन संकट को दूर करने के लिए पर्याप्‍त नहीं होगा।


इमरान ने शहबाज सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

उधर, पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सरकार के इस फैसले पर जोरदार हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान को डिफाल्‍टर होने से कोई नहीं बचा सकता है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान, श्रीलंका जैसे हालात से बहुत दूर नहीं हैं, जब जनता सड़क पर उतरेगी। उन्‍होंने आर्थिक मोर्चे पर विफलता के लिए शहबाज सरकार को दोषी ठहराया है। उन्‍होंने कहा पाकिस्‍तान की मौजुदा सरकार विदेश नीति के साथ आर्थिक मोर्चे पर भी विफल रही है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान में शहबाज शरीफ सरकार के आने के बाद भी हालात संभल नहीं रहे हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अब देश श्रीलंका की तरह से डिफाल्‍ट होने की कगार पर पहुंच चुका है। आलम यह है कि पाकिस्‍तानी रुपये ने पिछले दो दशक में सबसे खराब प्रदर्शन किया है।

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