आखिर क्यों चिंतित है WHO, वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन को बताया प्रभावकारी
भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है
भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है। एक ओर ब्रिटेन जैसे देशों में जहां संक्रमण के कारण दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं, वहीं भारत में भी ओमिक्रॉन का संकट बढ़ता दिख रहा है। यहां अब तक 100 से अधिक लोगों में ओमिक्रॉन के संक्रमण की पहचान की जा चुकी है। ओमिक्रॉन के बारे में विस्तार से जानने के लिए दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक अध्ययन रहे हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि कोरोना का यह नया वैरिएंट, पिछले वैरिएंट्स की तुलना में काफी तेजी से फैल रहा है। जल्द ही अगर इसकी रफ्तार पर काबू न पाया गया तो पूरी दुनिया को यह अपनी चपेट में ले सकता है।
भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां करीब 11 राज्यों में ओमिक्रॉन संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सभी लोगों को इस नए वैरिएंट से बचाव के लिए लगातार सभी आवश्यक उपाय करते रहने चाहिए। यह वैरिएंट वैक्सीनेटेड लोगों को भी अपना शिकार बना रहा है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?
डब्ल्यूएचओ की तरफ से जारी एक बयान में चिंता जताते हुए कहा गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट पहले ही यूके और दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा से आगे निकल चुका है। कई अन्य यूरोपीय देशों में भी इसी तरह के हालात सामने आ रहे हैं। जिनेवा में एक अपडेट के दौरान डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस ने कहा, "ओमिक्रॉन उस दर से फैल रहा है जिसे हमने किसी पिछले वैरिएंट के साथ नहीं देखा है। 77 से अधिक देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं। यह और भी देशों में हो सकता है, भले ही इसका अभी तक पता न चला हो। ओमिक्रॉन की संक्रामकता दर चिंतित करने वाली है।
वैज्ञानिकों ने एक हालिया रिपोर्ट में बताया कि संक्रमण के केवल 24 घंटे बाद, डेल्टा और मूल सार्स-सीओवी-2 वायरस की तुलना में ओमिक्रॉन लगभग 70 गुना अधिक तेजी से शरीर में अपना प्रसार करने लगता है। हालांकि अब तक सुखद बात यह है कि फेफड़ों के सैंपल टेस्ट में पाया गया है कि मूल स्ट्रेन की तुलना यह वैरिएंट दस गुना धीमी गति से खुद को बढ़ा रहा है। जिसका मतलब है कि इससे गंभीर संक्रमण के मामले कम ही देखने को मिलेंगे।
स्पुतनिक-वी वैक्सीन हो सकती है असरदार
इस बीच ओमिक्रॉन पर मौजूदा वैक्सीनों की प्रभाविकता को लेकर अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम ने बड़ी जानकारी साझा की है। रूस के गमालेया केंद्र द्वारा किए गए एक प्रारंभिक प्रयोगशाला अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि स्पुतनिक वी वैक्सीन और एक-शॉट वाला स्पुतनिक लाइट बूस्टर डोज इस वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा प्रभावी हो सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि स्पुतनिक वी, ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षा देने और अस्पताल में भर्ती होने की आशंका को कम कर सकती है.
वैक्सीनेशन के साथ बचाव भी जरूरी
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 की मौजूदा अन्य वैक्सीनों की तुलना में स्पुतनिक वी को ज्यादा प्रभावी पाया गया है। इसके अलावा, टीकाकरण के 2-3 महीने बाद स्पुतनिक लाइट का एक बूस्टर शॉट देकर शरीर की प्रतिरक्षा को और भी मजबूत किया जा सकता है। फिलहाल जिन लोगों को अलग वैक्सीन लगी है उनमें भी संक्रमण की गंभीरता और इसके कारण होने वाली मौत के जोखिम को कम पाया गया है। वैक्सीन के साथ कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहना भी आवश्यक है।