Afghanistan: अफगान सेना के ऑपरेशन में तालिबानी लड़ाकों की मौत, 24 घंटे के भीतर मार गिराए 258 लड़ाके

अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों की वापसी के बीच हिंसा में कोई कमी नहीं आई है. यहां तालिबानी लड़ाकों और सेना के बीच अकसर झड़प होती है

Update: 2021-06-19 11:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Afghanistan Latest News: अफगानिस्तान में शांति बहाली की लाख कोशिशों के बीच भी ये देश संघर्ष का सामना कर रहा है. सरकारी बलों ने देश के 13 प्रांतों में ऑपरेशन चलाया था. जिसमें 24 घंटे के भीतर 258 तालिबानी (Taliban in Afghanistan) लड़ाके मारे गए हैं और 156 लड़ाके घायल हुए हैं. एक बयान में अफगान रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ये ऑपरेशन नंगरहार, लघमन, पक्टिया, जाबुल, हेरात, फराह, घोर, फरयाब, बल्ख, जवज्जान, हेलमंड, तखर और बगलान में चलाया गया था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकारी बलों (Afghanistan Government Forces) ने फरयाब में शिरीन तगाब जिले और बगलान में दहाना-ए-घोरी जिले को खाली करा लिया है. दूसरी ओर मैदान वरदाक प्रांत में अफगान नेशनल आर्मी बेस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. मंत्रालय ने कहा, '258 तालिबानी आतंकी मारे गए हैं और 156 घायल हुए हैं. सेना ने नंगरहार, लघमन, पक्टिया, जाबुल, हेरात, फराह, घोर, फरयाब, बल्ख, जवज्जान, हेलमंड, तखर और बगलान में ऑपरेशन चलाया था. इसके साथ ही 76 आईईडी मिले हैं और उन्हें डिफ्यूज किया गया है.'
लगातार बढ़ रही है हिंसा
अफगानिस्तान में तालिबानी हिंसा लगातार बढ़ रही है. जब से अमेरिका ने यहां से अपने सैनिकों की वापसी का ऐलान किया है, तब से हिंसा में इजाफा हुआ है. इससे पहले गुरुवार को तालिबान के 19 लड़ाके मारे गए थे और 8 घायल हुए थे. ये ऑपरेशन जाबुल प्रांत के शाह जॉ और शिंकाई जिलों में चलाया गया. हेलमंड में चले एक अन्य ऑपरेशन में 19 लड़ाके मारे गए, जिनमें इसका प्रमुख कमांडर अब्दुल रहमान (Abdul Rahman) भी मारा गया.
11 सितंबर तक सैनिकों की वापसी
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने अप्रैल महीने में कहा था कि इस साल 11 सितंबर तक अमेरिका और उसके सहयोगी अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी करा लेंगे. जिसके बाद से तालिबान को लग रहा है, वह जीत गया है. हालांकि शांति समझौते पर बातचीत जारी है. अमेरिका का कहना है कि वह अफगानिस्तान पर नजर बनाए रखेगा ताकि यह आतंकियों का गढ़ ना बन जाए. इस देश में आए दिन बम धमाके होते हैं. जिसमें सैनिकों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी निशाना बनाया जाता है. हाल ही में लड़कियों के एक स्कूल पर हमला किया गया था. जिसमें 80 से ज्यादा लड़कियों की मौत हो गई.


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