अफगानिस्तानी राष्ट्रपति ने किया ऐलान, कहा- 'तालिबान के खिलाफ आखिरी सांस तक जंग लड़ेंगे'
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने ऐलान किया है.
काबुल: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि वे तालिबान के खिलाफ आखिरी सांस तक जंग लड़ेंगे। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अशरफ गनी तालिबान की मांग के आगे झुकते हुए इस्तीफा दे सकते हैं। जिसके बाद उन्होंने आज कहा कि हमने तालिबान के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का फैसला किया है। तालिबान की भी प्रमुख मांग यही है कि अगर राष्ट्रपति गनी अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं तो वह हमले की कार्रवाई को रोक देगा।
अफगान उपराष्ट्रपति ने दी जानकारी
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने बताया कि राष्ट्रपति भवन में एक सुरक्षा बैठक में तालिबान के खिलाफ लड़ाई जारी रखने और राष्ट्रीय प्रतिरोध का पूरा समर्थन करने का फैसला किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति गनी ने फैसला किया है कि रक्षा और सुरक्षा बलों के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रतिरोध बलों को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
तालिबान ने 18 प्रांतीय राजधानियों पर किया कब्जा
तालिबान ने 8 दिनों के अंतर अफगानिस्तान की 34 में से 18 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। हेरात और कंधार पर कब्जे के 24 घंटे के अंदर तालिबान ने कलात, तेरेनकोट, पुल-ए आलम, फ़िरुज़ कोह, काला-ए-नवा और लश्कर गाह पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। तालिबान का अगला निशाना राजधानी काबुल है। तालिबान के आतंकी काबुल को चारों तरफ से घेरे बैठे हुए हैं।
अफगान नेताओं से एकजुट होने की अपील कर रहे बाइडन
बाइडन ने भी एक दिन पहले पत्रकारों से कहा था कि अमेरिकी सैनिकों ने पिछले 20 वर्षों में अफगानिस्तान की सहायता के लिए वह सब कुछ किया है जो वे कर सकते थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें (अफगान लोगों) अपने लिए, अपने देश के लिए लड़ना होगा। अमेरिका सीमित हवाई हमलों के साथ अफगान सेना का समर्थन कर रहा है, लेकिन इससे अब तक कोई रणनीतिक बदलाव देखने को नहीं मिला है।
अमेरिका की सोच से तेज चल रहा तालिबान
अमेरिकी सैन्य नेतृत्व जितना सोचा होगा उससे भी कहीं अधिक तेजी से अफगानिस्तान सरकार की सेना युद्धग्रस्त देश में तालिबान के सामने पस्त हो रही है। इसके बावजूद वाइट हाउस, पेंटागन या अमेरिकी जनता के बीच इसे रोकने का उत्साह कम ही नजर आ रहा है। यहां तक कहा जा रहा है कि अब शायद अफगानिस्तान में कुछ करने के लिए बहुत देर भी हो चुकी है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी की घोषणा किए जाने के बाद से युद्धग्रस्त देश में हर रोज हालात खराब होते जा रहे हैं।