अफगान खुफिया प्रमुख का दावा: टीटीपी के खिलाफ काम कर रही पाकिस्तानी सेना

संघर्ष विराम अधिक समय तक नहीं चल सका क्योंकि मतभेद जल्द ही सामने आ गए।

Update: 2022-08-31 09:01 GMT

पूर्व अफगान खुफिया प्रमुख रहमतुल्ला नबील (Former Afghan Intelligence Chief Rahmatullah Nabil) ने सोमवार को दावा किया कि पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) ने तालिबान अधिकारियों के साथ परामर्श के बिना ही अफगानिस्तान के क्षेत्र में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ एक अभियान शुरू कर दिया है।


तालिबान अधिकारियों से नहीं लिया गया परामर्श
अफगानिस्तान के पूर्व अधिकारी ने ट्विटर पर लिखा कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में टीटीपी को दबाने के लिए कई दिनों तक अभियान चलाया है। नबील ने ट्वीट किया, 'टीटीपी के खिलाफ पाकिस्तान का सैन्य अभियान वास्तव में कुछ दिनों पहले अफगानिस्तान के क्षेत्र में शुरू हुआ है। या तो मुल्ला एम याकूब से सलाह नहीं ली गई है या वह यह ढोंग करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे स्वतंत्र हैं।'

रविवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद ने दावा किया कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में प्रवेश करने और हमला करने के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल एक माध्यम के रूप में किया। हालांकि, उन्होंने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी का जिक्र नहीं किया।

अमेरिकी ड्रोन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने पर रोक लगाने की मांग
खामा प्रेस के मुताबिक, उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र में गश्त के लिए ड्रोन का नाजायज इस्तेमाल देश की सीमाओं का उल्लंघन है। उन्होंने पाकिस्तान से अमेरिकी ड्रोन को अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति देने से रोकने का आग्रह किया। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने दावों का खंडन किया और काबुल में जुलाई के ड्रोन आपरेशन में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया, जिसमें अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी मारा गया था।

एनडीएस यानी नेशनल डायरेक्टरेट आफ सिक्योरिटी के निदेशक नबील की टिप्पणी अमेरिकी ड्रोन हमले की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें लगभग एक महीने पहले काबुल में अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी मारा गया था। खामा प्रेस ने बताया कि तालिबान का आरोप है कि ड्रोन ने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से अफगानिस्तान में प्रवेश किया।

पाकिस्तान और टीटीपी के बीच मध्यस्थता कर रहा तालिबान
अफगानिस्तान में तालिबान पहले टीटीपी और पाकिस्तान के बीच एक अस्थायी युद्धविराम को सुरक्षित करने में सक्षम रहा है और सक्रिय रूप से मध्यस्थता कर रहा है और दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता की सुविधा प्रदान कर रहा है। लेकिन हाल ही में अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत के बीरमल इलाके में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में शीर्ष पाकिस्तानी तालिबान कमांडरों की हत्या से सेना और टीटीपी के बीच चल रही बातचीत में एक बात की संभावना है।

रिपोर्टों से पता चलता है कि पाकिस्तानी सैन्य वार्ताकारों ने टीटीपी को लंबे समय तक युद्धविराम के लिए सहमत होने, अपने संगठन को भंग करने और मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने के बदले अफगानिस्तान से पाकिस्तान के लिए एक सुरक्षित मार्ग के साथ टीटीपी को समायोजित करने की पेशकश की।

हालांकि, टीटीपी ने कहा है कि 'हमने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है कि उनकी हत्याओं में कौन शामिल हो सकता है। जांच पूरी होने के बाद, हम पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता जारी रखने के बारे में एक विस्तृत बयान जारी करेंगे।'

2021 में शुरू हुई बातचीत
जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया है, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से सीमा पार हमलों की शिकायत की है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो राजनयिक तनाव का स्रोत बन गया है। इस मुद्दे का राजनीतिक समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों के बीच अक्टूबर 2021 में बातचीत शुरू हुई थी। अफगान तालिबान के अनुरोध पर हुई वार्ता के कारण नवंबर में एक महीने का युद्धविराम हुआ। हालांकि, संघर्ष विराम अधिक समय तक नहीं चल सका क्योंकि मतभेद जल्द ही सामने आ गए।

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