अफगानी हिंदुओं और सिखों ने गुरुद्वारे में ली शरण, भारतीय दूतावास ने पहुंचाया सुरक्षित स्थान पर

चाहे फिर हम ऐसा करना चाहते हों या नहीं. मेरा नाम भी उन 60 लोगों की सूची में शामिल था. बैच में भारतीय लोग भी शामिल हैं.’

Update: 2021-08-20 11:11 GMT

अफगानिस्तान में तालिबानी राज आते ही यहां रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा को लेकर काफी डरे हुए हैं. इन लोगों की मदद करने के लिए हर संभव कदम भी उठाए जा रहे हैं. काबुल के रहने वाले स्थानीय सिखों का कहना है कि भारतीय दूतावास (Indian Embassy) के अधिकारियों ने गुरुवार को अफगानिस्तान के करता-परवान में गुरुद्वारा सिंह सभा से लगभग 60 हिंदुओं और सिखों को सुरक्षित स्थान पर भेजा है.

इनमें से कई सिखों ने कहा है कि वे कनाडा या अमेरिका में भेजे जाने के बजाय भारत जाना पसंद करेंगे, क्योंकि वहां पर स्थिति ज्यादा बेहतर है. सूत्रों के अनुसार, अफगान संसद में सिख समुदाय के दो सदस्यों अनारकली कौर होनारयार (उच्च सदन) और नरेंद्र सिंह खालसा (निचले सदन) उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें काबुल में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है (Afghanistan Taliban Conflict). नरेंद्र खालसा अफगान सिख नेता अवतार सिंह खालसा के बेटे हैं, जिनकी 2018 में जलालाबाद आतंकी हमले में हत्या हो गई थी.
लोगों ने गुरुद्वारे में ली शरण
तालिबान ने जब से राजधानी काबुल पर कब्जा किया है, तब से अभी तक कम से कम 285 सिख और हिंदुओं ने गुरुद्वारे में शरण ली है, इनमें से ज्यादातर के पास वैध दस्तावेज हैं और ये लोग काबुल, जलालाबाद और गजनी के रहने वाले हैं. मंगलवार को कुछ अफगान सिखों ने वीडियो जारी कर अमेरिका और कनाडा से मदद मांगी थी (Afghanistan Minority After Taliban). टीओआई के अनुसार, एक सिख व्यक्ति ने बताया, 'पांच अफगान सिखों की भारत में संपत्ति है और वो वहां काम करते हैं, अब भारत में ही जाना चाहते हैं. वह अपनी संपत्ति को किराए पर देकर भी गुजारा कर सकते हैं, लेकिन जिनकी भारत में संपत्ति नहीं है, वो अमेरिका या कनाडा जाना चाहते हैं.'
भारतीय अधिकारियों ने किया फोन
इस शख्स ने बताया, 'गुरुवार शाम करता-परवान गुरुवारे (Karte-Parwan Gurudwara) में सिख और हिंदू नेताओं को एक फोन आया. शायद वो भारतीय अधिकारियों का फोन था, जिन्होंने 50 के बैच में गुरुद्वारे से निकलने को कहा. गुरुद्वारे के चार लोगों ने हमसे कहा कि हम पहले बैच में बाहर निकलें, चाहे फिर हम ऐसा करना चाहते हों या नहीं. मेरा नाम भी उन 60 लोगों की सूची में शामिल था. बैच में भारतीय लोग भी शामिल हैं.'

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