पाकिस्तान के साथ लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच तालिबान सरकार ने भारत से मदद की मांग की है। तालिबान ने आग्रह किया है कि भारत फिर से अफगानिस्तान में बंद परियोजनाओं को फिर से शुरू करने का कार्य करें। पिछले दिनों वहां के दूतावास में कार्यरत टीम से तालिबान ने आग्रह किया है कि भारत अफगानिस्तान में अपनी लंबित परियोजना को शुरु करने का काम करें।
गौतरलब है कि पाकिस्तान से तालिबान के रिश्ते हमेशा से ही तनावपूर्ण रहे है। पिछले साल अगस्त महीने में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था। तब अमेरिका के साथ भारत की कूटनीति को हार के तौर पर देखा गया था। लेकिन बीते कुछ महीनों में इस कूटनीतिक समीकरण में काफी बदलाव हो गया है।
पाकिस्तान और तालिबान के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे है। हाल ही में अफगानिस्तान ने दूतावास में भारतीय कूटनीतिक टीम से तालिबान ने कहा कि भारत अपनी लंबित परियोजना को शुरु कर सकता है। हालांकि भारत अफगानिस्तान के हालात देखकर परियोजनाओं को शुरु करने के लिए उत्साहित नहीं है।
दूसरी तरफ भारत के विदेश मंत्रालय का मानना है कि तालिबान वैश्विक स्तर पर अपनी सरकार को मान्यता दिलाने के मंसूबे से भी भारत के साथ संबंधों को लेकर उत्साहित दिख रहा है। सूत्रों के अनुसार, तालिबान ने जो मदद मांगी है वह फिलहाल संभव नहीं होती दिख रही है।
तालिबान को लेकर भारत की कई समस्याएं है। जिनमें तालिबान के आने के बाद सिखों पर हमले हुए हैं। जिस कारण भारत को वहां से सैकड़ों सिखों को निकालना पड़ा है। इसके अलावा भी कई दूसरी समस्याएं जैसे कारोबार, बैंकिंग व्यवस्था को लेकर सामने आई है। कूटनीतिक टीम से मिलने के दौरान तालिबान के शहरी विकास मंत्री हमदुल्लाह नोमानी ने चार मांग रखी है।
1. भारत परियोजनाओं का काम शुरु करे।
2. काबुल के विकास से जुड़ी परियोजनाओं के लिए फंड दिया मिले।
3. अफगानिस्ता के छात्रों को वीजा देने का काम शुरू किया जाएं।
4. भारतीय विश्वविद्यालयों में पीएचडी करने के लिए अफगानिस्तानी छात्रों की मदद की जाए।
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