अफगान पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा- पाकिस्तान की कठपुतली है तालिबान

पंजशीर घाटी में तालिबान से मोर्चा ले रहे धड़े का नेतृत्व कर रहे पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने ऐलान किया है

Update: 2021-09-06 02:46 GMT

पंजशीर घाटी में तालिबान से मोर्चा ले रहे धड़े का नेतृत्व कर रहे पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने ऐलान किया है कि चाहे जान देनी पड़े, लेकिन वह घुटने नहीं टेकेंगे। सालेह ने ब्रिटिश अखबार डेली मेल के लिए लिखे एक लेख में कहा, तालिबान के कब्जे वाला अफगानिस्तान अब पाकिस्तान का उपनिवेश बन चुका है।

काबुल पर तालिबान के कब्जे के दौरान के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए सालेह ने लिखा तालिबान को पाकिस्तान नियंत्रित कर रहा है, लेकिन यह लंबा नहीं चलने वाला। वे अभी इलाके पर काबिज जरूर हैं लेकिन हमारा अतीत बताता है कि जमीन पर कब्जा कर लेने से लोगों के दिल नहीं जीते जाते, लोग नहीं जीते जाते।
तालिबान के हर कदम पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के निशान साफ दिखाई देते हैं। तालिबान के प्रवक्ताओं को हर घंटे पाकिस्तान से निर्देश मिलते हैं। सालेह ने बताया कि किस तरह देश के राजनीतिक नेतृत्व ने जरूरत के समय लोगों का साथ छोड़ दिया।
तालिबान से लड़ने की बजाय भूमिगत हो गए थे अधिकारी
सालेह ने बताया कि कैसे अफगान अधिकारी लड़ने की बजाय भूमिगत हो गए और कुछ दिनों में ही तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमा लिया। उन्होंने लिखा काबुल पर तालिबान के कब्जे से एक रात पहले पुलिस चीफ ने फोन पर बताया कि तालिबानी कैदी जेल से भागने के लिए उपद्रव कर रहे हैं।
मैंने पहले से ही जेल में गैर-तालिबानी कैदियों का एक गुट तैयार कर रखा था। उनके सहयोग से अफगान बलों ने जेल में हालात पर काबू पा लिया रक्षा मंत्री बिस्मिल्ला मोहम्मदी, आंतरिक सुरक्षा देखने वाले मंत्री ने तो फोन तक नहीं उठाया।
रिजर्व फोर्सेज, कमांडो की तैनाती के आदेश सुनने के लिए कोई था ही नहीं। फिर मैंने राष्ट्रपति भवन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब से संपर्क किया। सब व्यर्थ रहा, कहीं से जवाब नहीं मिला।

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