अफगान सेना का 20 प्रांतों में तालिबान से संघर्ष जारी, कई जिलों में भीषण संघर्ष जारी

एक तरफ तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने चीन के दौरे पर बीजिंग को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त किया है और दूसरी तरफ उसके लड़ाकों ने अफगानिस्तान के 20 प्रांतों में मोर्चा खोला हुआ है।

Update: 2021-07-30 01:42 GMT

एक तरफ तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने चीन के दौरे पर बीजिंग को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त किया है और दूसरी तरफ उसके लड़ाकों ने अफगानिस्तान के 20 प्रांतों में मोर्चा खोला हुआ है।

कंधार में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि हजारों लोग शहर में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं जबकि कई लोग सुरक्षित जगहों की ओर चले गए हैं। तालिबान आतंकी शहर के भीतर घुसने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन अभी सफल नहीं हो पाए हैं। इसीलिए आसपास के जिलों में उन्होंने कब्जा जमा लिया है।

टोलो न्यूज ने बताया कि फरयाब प्रांत के मैमाना शहर में कई दर्जन रॉकेट तालिबान ने दागे हैं, जिसमें कई आम नागरिक मारे गए हैं।

अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता फवाद अमन ने कहा कि सेना यहां लगातार तालिबान के खिलाफ हवाई और जमीनी हमले कर रही है। जबकि हेरात प्रांत में बिगड़ते हालात देखते हुए अधिकारियों ने रात का कर्फ्यू लगा दिया है।

तियानजिन में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई बैठक में चीन ने तालिबान प्रतिनिधिमंडल के सामने दोस्ती से पहले एक शर्त रख दी है। उसने कहा कि तालिबान को ईस्ट तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ अपने रिश्ते पूरी तरह खत्म करने होंगे।

चीन ने कहा कि हम उन सभी आतंकी गुटों से नाता नहीं रखेंगे जो चीन-पाकिस्तान के लिए सीधे तौर पर खतरा होंगे। बता दें कि ईटीआईएम उइगरों के साथ मिला हुआ है और चीन के लिए सिरदर्द बना हुआ है जबकि टीटीपी को पाक बुरे आतंकी के रूप में मानता है।

इस बीच, विदेश मंत्री वांग यी ने मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से हुई मुलाकात में तालिबान को 'अहम सैन्य और राजनीतिक ताकत' भी करार दिया। चीनी प्रवक्ता झाओ लिजियन ने इस मुलाकात की पुष्टि की है।

द विल्सन सेंटर के शोधकर्ता माइकल कुगेलमैन ने चीन-तालिबान बैठक को भारत के लिए चुनौतीपूर्ण बताया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, चीन में तालिबान प्रतिनिधिमंडल का पहुंचना भारत के लिए ठीक नहीं है। भारत को अफगानिस्तान में राजनयिक पहल करने की जरूरत है, क्योंकि भारत का प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान पहले ही इस खेल में कूदा हुआ है। जबकि चीन भी इसमें शामिल हो रहा है।

तालिबान के साथ सियासी समाधान ढूंढने की कोशिश में जुटे पाकिस्तान ने 2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान पर हमला करने के मकसद पर सवाल खड़े किए हैं। पीएम इमरान खान ने कहा है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में चीजें अस्त-व्यस्त कर दी हैं।

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