इंटरनेट कंपनी अलीबाबा पर एकाधिकार खत्म करने के लिए जैक मा की कंपनियों पर कार्रवाई,जानें कारण
चीन की सबसे बड़ी निजी इंटरनेट कंपनी अलीबाबा और उसकी वित्तीय कारोबार की शाखा एंट ग्रुप पर चीन के विनियामकों ने क्यों कार्रवाई शुरू की है,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : चीन की सबसे बड़ी निजी इंटरनेट कंपनी अलीबाबा और उसकी वित्तीय कारोबार की शाखा एंट ग्रुप पर चीन के विनियामकों ने क्यों कार्रवाई शुरू की है, इसको लेकर दुनिया भर में कयास लगाए जा रहे हैं। चीन के मार्केट रेगुलेटर ने गुरुवार को कहा कि उसने अलीबाबा के खिलाफ बाजार पर एकाधिकार कायम करने संबंधी कोशिशों को लेकर जांच शुरू की है।
अलीबाबा पर आरोप है कि वह विक्रेताओं को अपनी चीजें दूसरे इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर बेचने से रोक रही है। गुरुवार को ही चीन के सेंट्रल बैंक और तीन दूसरी वित्तीय विनियामक एजेंसियों ने एंट ग्रुप पर निगरानी बढ़ाने का एलान किया।
एंट ग्रुप के आईपीओ पर लगाई रोक
अलीबाबा और एंट ग्रुप दोनों जैक मा की कंपनियां हैं, जिन्हें चीन का सबसे मशहूर कारोबारी माना जाता है। जैक मा को हाल तक चीन में एक आइकॉन माना जाता था लेकिन पिछले कुछ समय से चीन की सरकार उनके पीछे पड़ी हुई है। पिछले महीने एंट ग्रुप के आईपीओ (इनिशियल पब्लिक इशू) पर सरकारी रेगुलेटर ने रोक लगा दी थी। अब अलीबाबा पर कार्रवाई शुरू की गई है।
इसके समर्थन में गुरुवार को ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार पीपुल्स डेली ने एक लेख छापा। उसमें कहा गया कि इंटरनेट पर एकाधिकार (मोनोपॉली) रोकने के लिए यह (कार्रवाई) एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स के स्वस्थ विकास के लिहाज से फायदेमंद असर होगा।
अमेरिका यूरोप में गूगल व फेसबुक पर नकेल
अलीबाबा और एंट ग्रुप पर कार्रवाई ठीक लगभग उसी समय शुरू हुई है, जब अमेरिका और यूरोप में गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों के पर कतरने के कदम उठाए गए हैं। जानकारों ने इन सभी कार्रवाइयों में मौजूद एक समानता की तरफ ध्यान खींचा है। उनके मुताबिक वर्षों से हाईटेक कंपनियों की बढ़ती ताकत को लेकर चिंता बढ़ रही थी। ये कंपनियां धीरे-धीरे कारोबार, अभिव्यक्ति और विज्ञापन पर अपना दबदबा बढ़ाती चली गई हैं।
चीन की बड़ी हाईटेक कंपनियां हांगकांग और न्यूयॉर्क के बाजारों में लिस्टेड
चीन में भी गुजरे दशकों में कई बड़ी इंटरनेट कंपनियां उभरी हैं। चीन में उन्हें देश की तकनीकी उन्नति का प्रतीक माना जाता रहा है। आलोचकों का कहना है कि जब ये कंपनियां बढ़ती गईं और उनका वर्चस्व बनता गया, तब चीन सरकार ने आंखें फेर रखी थीं। इसका असर यह हुआ कि इन कंपनियों की चीन के आमजन की जिंदगी में पैठ बढ़ती चली गई। अलीबाबा और एंट के अलावा चीन में और भी कई बड़ी इंटरनेट कंपनियां आज मौजूद हैं।
उन कंपनियों में डिजिटल कॉमर्स में जेडी.कॉम और पिनदुओदुओ; गेमिंग, सोशल मीडिया और मोबाइल भुगतान में टेनसेंट; शॉर्ट फॉर्म मनोरंजन में बाइटडान्स; फूड डिलिवरी में मेइतुआन आदि का वर्चस्व है। ये सभी कंपनियां न्यूयॉर्क और हांगकांग के शेयर बाजारों में लिस्टेड हैं।
गुरुवार को अलीबाबा के शेयर तेजी से गिरे
जानकारों के मुताबिक दुनिया भर के वेंचर कैपिटलिस्ट और निवेशकों ने इनमें पैसा लगाकर काफी मुनाफा कमाया है। अब यह पहला मौका है जब चीन के विनियामकों ने एक बड़ी इंटरनेट कंपनी पर शिकंजा कसा है। इसका असर उसके कारोबार पर पड़ने लगा है। गुरुवार को अलीबाबा के शेयरों के भाव तेजी से गिरे।
मोनोपॉली और डेटा प्राइवेसी के अमेरिकी विशेषज्ञ फ्रैंक फाइन ने अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा है कि अमेरिका, चीन और यूरोप में बड़ी इंटरनेट कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की वजह से बड़े बदलाव आ सकते हैं। मसलन, चीन में बड़ी कॉमर्स साइटों पर ये इल्जाम रहा है कि वे व्यापारियों को दूसरे प्लैटफॉर्म्स पर अपनी चीजें नहीं बेचने देती हैं।
इस मसले को लेकर अलीबाबा की कंपनी को जेडी.कॉम अदालत तक ले जा चुकी है। कुछ समय पहले टेनसेंट कंपनी पर आरोप लगा था कि वह अपने लोकप्रिय एप वीचैट पर अलीबाबा की ताओबाओ साइट को सीधे नहीं खुलने देती है। ऐसे कई और मामले भी हुए हैं।
अलीबाबा और एंट ग्रुप पर 75,000 डॉलर का जुर्माना
चीन में मोनोपॉली के खिलाफ कानून 2008 में बना था। अब तक इसका इस्तेमाल विदेशी कंपनियों के खिलाफ ही हुआ था। 2015 में अमेरिका की कंप्यूटर चिप निर्माता कंपनी को इसी कानून के तहत की गई कार्रवाई के बाद साढ़े 97 करोड़ डॉलर का जुर्माना भरना पड़ा था।
अब ये पहला मौका है, जब चीन की एक बड़ी कंपनी इस कानून के दायरे में आई है। मार्केट रेगुलेटर ने पिछले महीने कहा था कि अलीबाबा और दो अन्य कंपनियों ने हाल में उसे इस बात की सूचना नहीं दी कि उन्होंने नई कंपनियों को खरीदा है। इसके लिए इन कंपनियों पर 75 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन अब जो कार्रवाई शुरू हुई है, उसमें अलीबाबा पर कहीं अधिक बड़ा दंड लगाया जा सकता है।