कार्यकारी राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा- लंबे समय तक नहीं चलेगा तालिबान शासन
सालेह उन्हें अपना गुरु मानते हैं, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने मरणोपरांत राष्ट्रीय नायक नामित किया था।
अपदस्थ अफगान सरकार में उप राष्ट्रपति रहे और स्वयंभू कार्यकारी राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन लंबे समय तक नहीं चलेगा। यूरो न्यूज के साथ बातचीत में सालेह ने कहा कि तालिबान का इस्लामी शासन अफगानिस्तान के लोगों को रास नहीं आएगा और इस आतंकी संगठन को जनता की ओर से चुना हुआ नेता गवारा नहीं होगा। इसलिए तालिबान का अफगानिस्तान पर लंबे समय तक शासन कर पाना संभव ही नहीं।
सालेह के मुताबिक, तालिबान को जल्द ही गंभीर सैन्य संकट का सामना करना पड़ेगा। पंजशीर के बाहर भी उसे उनकी सेना का कड़ा मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा कि तालिबान को ना तो बाहरी और न ही आंतरिक वैधता मिली है। पंजशीर के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी तालिबान के खिलाफ लगातार प्रतिरोध बढ़ रहा है और उनको जल्द ही सैन्य संकट का भी सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ को राजनीतिक और नैतिक रूप से अफगान राष्ट्रीय प्रतिरोध के लिए अपना समर्थन देना चाहिए।
उधर, पंजशीर के लड़ाकों ने भारी मशीनगन का इस्तेमाल करके तालिबान आतंकवादियों को क्षेत्र पर कब्जा करने से रोका हुआ है। ये लड़ाके नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (NRF) से हैं, जो तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जे के बाद सबसे मजबूत है। प्रसिद्ध अफगान कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद तालिबान को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं।
तालिबान के अधिग्रहण के बाद भी अफगानिस्तान नहीं छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'मैं अहमद शाह मसूद का सिपाही हूं और उनकी डिक्शनरी में पलायन, निर्वासन और बुरे वक्त में देश छोड़कर जाने जैसी कोई बात नहीं थी। अहमद शाह मसूद जिन्हें शेर-ए-पंजशीर के रूप में माना जाता था। सालेह उन्हें अपना गुरु मानते हैं, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने मरणोपरांत राष्ट्रीय नायक नामित किया था।