लंदन। लीड्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को फेफड़े के कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता मिली है। शोधकर्ताओं ने 2 मिलीमीटर व्यास का एक रोबोट विकसित किया है, जो गहराइयों में जाकर कैंसर के लक्षण का पता करने और उसका उपचार करने में सक्षम है। अल्ट्रा सॉफ्ट टेंटेकल रोबोट जो कि चुंबक द्वारा नियंत्रित होता है, सबसे छोटी ब्रोंकियल ट्यूब तक पहुंच कर इलाज करने में मदद प्रदान कर सकता है। यह रोबोट लीड्स की सीटट्रोम लैब में डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा विकसित किया गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से कैंसर का सबसे सटीक इलाज करने में मदद मिलेगी।
शोधकर्ताओं ने बताया कि एक शव के लंग्स में परीक्षण के दौरान इस रोबोट ने वर्तमान उपलब्ध उपकरण की तुलना में 37 प्रतिशत अधिक गहराइयों में जाकर कैंसर का पता लगाया। इस यात्रा के दौरान यह उसके ऊतक को बहुत कम क्षति पहुंचाता है। इस शोध के बारे में 27 जुलाई को इंजीनियरिंग कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया था। लैब के निदेशक प्रोफेसर पिएट्रो वल्दास्त्री ने बताया कि यह मानव इतिहास के लिए काफी क्रांतिकारी साबित हो सकता है। इसकी तीन विशेषताएं हैं, पहला सटीक इलाज, दूसरा काफी सॉफ्ट और तीसरा यह चुंबक द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित होता है। मैग्नेटिक टेंटेकल रोबोट ने बायोप्सी के दौरान फेफड़ों के अंदर नेविगेशन को काफी सटीकता से निभाया। रोबोट स्वस्थ अंग को बिना नुकसान पहुंचाए केवल ट्यूमर वाले सेल को टारगेट करता है।