समुद्री तट पर मिला दुर्लभ लॉबस्टर, 10 करोड़ में एक का होता है ऐसा रंग

लॉबस्टर का कलर इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा प्रोटीन एस्टैक्सैन्थिन के साथ क्रिया करता है

Update: 2021-11-13 02:25 GMT

सीफूड के शौकीन लोगों के लिए अक्सर लॉबस्टर पसंदीदा व्यंजन होता है। लेकिन इसकी कई प्रजातियां बेहद दुर्लभ हैं जिन्हें प्लेट में परोसने के बजाय संरक्षण की जरूरत है। बीते हफ्ते एक शख्स के हाथ मेन के समुद्री तट पर इसी तरह का एक दुर्लभ लॉबस्टर लगा, जिसका रंग 'कॉटन कैंडी' जैसा था। आमतौर पर लॉबस्टर या झींगा मछली का रंग लाल होता है जैसा कि ज्यादातर तस्वीरों में दिखाया जाता है। लेकिन यह और कई दुर्लभ रंगों में पाया जाता है।

अमेरिकी लॉबस्टर की शेल का रंग भूरा होता है जो पकने के बाद लाल हो जाता है। अमेरिकी राज्य मेन को रंगीन लॉबस्टर प्रजातियों के लिए जाना जाता है। यहां नीले लॉबस्टर भी पाए जाते हैं जिनके मिलने की संभावना मेन लॉबस्टरमेन्स कम्युनिटी एलायंस के अनुसार 2 मिलियन में से एक होती है। कम्युनिटी ने कहा कि पीले लॉबस्टर 30 मिलियन में से एक पाए जाते हैं। इनमें सबसे दुर्लभ सफेद लॉबस्टर होते हैं जो 100 मिलियन में एक बार पाए जाते हैं।
दुर्लभ लॉबस्टर को मिलेगा घर
पोर्टलैंड की सीफूड कंपनी गेट मेन लॉबस्टर के अनुसार 'कॉटन कैंडी लॉबस्टर' के मिलने की संभावना एक सफेद लॉबस्टर के समान ही होती है। बिल कॉपरस्मिथ ने पिछले हफ्ते इस लॉबस्टर को पकड़ा था। इसे 'हैडी' नाम दिया गया है। इसे किसी के खाने के लिए परोसा नहीं गया। कंपनी ने जोर देकर कहा कि वे लॉबस्टर को किसी के लिए न पकाएंगे या न बेचेंगे। इसके बजाय वे इसे एक स्थायी और सुरक्षित घर देने के लिए स्थानीय समुद्री संगठनों के साथ काम करेंगे।
अलग-अलग रंगों के पीछे पिगमेंट
गेट मेन लॉबस्टर के मार्क मुरेल ने यूएस टुडे को बताया, 'हम इसे बेचने नहीं जा रहे हैं और न ही पकाने। हम इसे संरक्षित करना चाहते हैं।' झींगा मछलियों के विभिन्न रंगों के पीछे का कारण उनके पिगमेंट होते हैं, जिसे एस्टैक्सैन्थिन के रूप में जाना जाता है। लॉबस्टर का कलर इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा प्रोटीन एस्टैक्सैन्थिन के साथ क्रिया करता है


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