पाकिस्तान की एक अदालत ने लश्कर आतंकी साजिद मजीद मीर को सुनाई सजा, जानें कैसे पर्दाफाश हुआ झूठ
उन्होंने कहा कि अदालत ने साजिद मजीद मीर पर चार लाख रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया है।
इस्लामाबाद : पाकिस्तान एफएटीएफ की 'ग्रे-लिस्ट' में अभी भी शामिल है। देश में आर्थिक हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और पाकिस्तान इस लिस्ट से बाहर आने के लिए लगातार हाथ-पांव मार रहा है। इस बीच पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड साजिद मजीद मीर को टेरर फंडिंग केस में 15 साल से अधिक की जेल की सजा सुनाई है। पाकिस्तानी अधिकारियों का मानना है कि यह कार्रवाई 'ग्रे-लिस्ट' से बाहर निकलने में उनके लिए मददगार साबित होगी। इससे पहले पाकिस्तानी सरकार ने दावा किया था कि साजिद मीर की मौत हो चुकी है।
मीर पर 2008 मुंबई हमलों की साजिश रचने के आरोप हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, लाहौर की एंटी-टेरेरिज्म कोर्ट ने मीर को 15 साल से अधिक की जेल और 4,20,000 रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है। सूत्रों के हवाले से खबर में बताया गया है कि फिलहाल मीर कोट लखपत जेल में सजा काट रहा है। पाकिस्तान में इतने हाई-प्रोफाइल केस का फैसला बड़े ही गुपचुप तरीके से सुनाया गया है। अप्रैल में हुई उसकी गिरफ्तारी को भी मीडिया से दूर रखा गया था।
पाकिस्तान सरकार ने किया था मौत का दावा
पाकिस्तान सरकार ने दावा किया था कि मीर की मौत हो चुकी है। लेकिन पश्चिमी देशों ने इस पर भरोसा न करते हुए सबूतों की मांग की थी। पिछले साल के आखिर में एक्शन प्लान पर पाकिस्तान के प्रोग्रेस के एफएटीएफ के आकलन में यह मुद्दा एक प्रमुख बिंदु बन गया था। इसके बाद से ही मीर के केस में चीजें आगे बढ़ना शुरू हुई और उसे गिरफ्तार किया गया। साजिद मजीद मीर 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में अपनी भूमिका के लिए भारत की मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में शामिल है। उस पर अमेरिका ने भी 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है।
पाकिस्तान का दौरा करने वाले हैं एफएटीएफ के अधिकारी
मीर को सजा ऐसे समय में सुनाई गई है, जब पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है। पंजाब पुलिस का आतंकवाद निरोधी विभाग (सीटीडी), जो अक्सर मीडिया को ऐसे मामलों में संदिग्धों के दोषी करार दिए जाने की जानकारी देता है, उसने साजिद मजीद मीर की दोषसिद्धि की सूचना नहीं दी। दरअसल, मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ इस्लामाबाद की ओर से उठाए गए कदमों और इस संबंध में किए गए सुधारों के की समीक्षा करने के लिए आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था एफएटीएफ के अधिकारी जल्द ही पाकिस्तान का दौरा करने वाले हैं।
वकील ने दी सजा की जानकारी
आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दवा के नेताओं का पक्ष रखने वाले एक वरिष्ठ वकील ने शुक्रवार को न्यूज एजेंसी 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'इस महीने की शुरुआत में लाहौर की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने टेरर फंडिंग के मामले में प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य साजिद मजीद मीर को साढ़े 15 साल की जेल की सजा सुनाई थी।' वकील ने बताया कि साजिद मजीद मीर अप्रैल में अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है। उन्होंने कहा कि अदालत ने साजिद मजीद मीर पर चार लाख रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया है।