अमेरिका समेत 98 देशों ने तालिबान से किया करार, समझौते का दिया हवाला
अमेरिकी मिशन क्षेत्र के किसी देश में राजनयिक मिशन खोलेगा ताकि जरूरी यात्रा दस्तावेज हासिल करने वालों को मदद जारी रखी जा सके।
अमेरिका समेत 98 देशों ने रविवार को कहा कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद भी अफगानिस्तान छोड़ने के इच्छुक लोगों को वे अपने यहां आने की अनुमति देना जारी रखेंगे। उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने के इच्छुक लोगों को सुरक्षित निकासी की अनुमति देने के लिए तालिबान के साथ समझौता कर लिया है।
तालिबान के मुख्य वार्ताकार शेर मुहम्मद अब्बास स्टेनेकजई ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि वे अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले लोगों को नहीं रोकेंगे। भले ही उनकी नागरिकता कुछ भी हो या उन्होंने 20 साल चली लड़ाई में अमेरिका के लिए काम किया हो।
दुनिया की करीब आधी सरकारों और नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन (नाटो) की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि उन्हें तालिबान से आश्वासन मिला था कि इन देशों में प्रवेश का यात्रा दस्तावेज दिखाने वाले सुरक्षित रूप से जा सकेंगे। इन देशों ने यह संकल्प भी लिया कि वे नामित अफगानियों को यात्रा दस्तावेज जारी करना जारी रखेंगे। इस क्रम में उन्होंने उनकी सुरक्षित निकासी की तालिबान की ओर से मिली स्पष्ट उम्मीद और प्रतिबद्धता का हवाला दिया।
काबुल में एकबार फिर बम धमाके की खबर है।
खास बात यह है कि इस संयुक्त बयान से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य देशों रूस और चीन के नाम नदारद है। दोनों ने अफगानिस्तान के पुनर्निमाण में तालिबान की मदद की प्रतिबद्धता जताई है। बयान में समझौते से मुकरने की स्थिति में तालिबान को कोई चेतावनी नहीं दी गई है।
रविवार को ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि सेना वापसी के बाद अमेरिका का अपने राजनयिकों की अफगानिस्तान में तैनाती करने की संभावना नहीं है। इस सिलसिले में अधिकारियों का कहना है कि अफगानिस्तान के लिए अमेरिकी मिशन क्षेत्र के किसी देश में राजनयिक मिशन खोलेगा ताकि जरूरी यात्रा दस्तावेज हासिल करने वालों को मदद जारी रखी जा सके।