लेखक की हत्या के मामले में 5 लोगों को मौत की सजा, जानें पूरा मामला

मशहूर बांग्लादेशी-अमेरिकी ब्लॉगर अविजीत रॉय की हत्या के मामले में पांच लोगों को सजा-ए-मौत सुनाई गई है

Update: 2021-02-17 15:00 GMT

मशहूर बांग्लादेशी-अमेरिकी ब्लॉगर अविजीत रॉय की हत्या के मामले में पांच लोगों को सजा-ए-मौत सुनाई गई है. इसके अलावा एक अन्य व्यक्ति को आजीवान कारावास की सजा सुनाई गई है. बांग्लादेश में आतंकवाद रोधी एक विशेष अदालत ने ये फैसला सुनाया है. इन पांच लोगों में सेना के एक भगोड़े मेजर समेत प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी समूह के लोग शामिल हैं.


अविजीत रॉय की मौत के खिलाफ प्रदर्शन करते लोग
बांग्लादेश में जन्मे 42 साल के अमेरिकी नागरिक अविजीत रॉय की आतंकवादियों ने साल 2015 में हत्या कर दी थी. वे 26 फरवरी, 2015 को ढाका विश्वविद्यालय में एक पुस्तक मेले से निकल रहे थे और तब उन पर ये हमला हुआ था. रॉय की पत्नी भी इस हमले में घायल हो गई थीं. रॉय धार्मिक कट्टरपंथी लोगों की वायरस से तुलना कर चुके थे और अक्सर अपनी किताबों में धार्मिक कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाते थे.

अविजीत रॉय की मौत के आरोपी
ढाका की आतंकवाद रोधी विशेष अदालत के न्यायाधीश मोजिबुर रहमान ने सेना के भगोड़े मेजर सैयद जियाउल हक समेत पांच आतंकवादियों को रॉय की हत्या के मामले में मौत की सजा दी है. मौत की सजा पाने वालों के नाम बर्खास्त मेजर सैयद मोहम्मद जियाउल हक जिया, मोजम्मिल हुसैन, अबू सिद्दीकी सोहेल उर्फ ​​साकिब उर्फ ​​साजिद, अकरम हुसैन उर्फ ​​अबीर और मोहम्मद अराफात रहमान हैं. इनमें से जिया और अकरम फरार हैं.
गौरतलब है कि साल 2015 में मरने से पहले भी उन्हें अपने लेखों के चलते कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी थी. रॉय ने धार्मिक कट्टरता की तुलना एक बेहद खतरनाक वायरस से कर दी थी. उन्होंने कहा था कि चार्ली हेब्दो पर हमले करने वाले लोग ऐसे ही हैं जो इस वायरस से ग्रस्त होते हैं. आस्था आधारित आतंकवाद बिल्कुल वायरस की तरह है और अगर इसे फैलने दिया जाए तो ये समाज को खोखला बना सकता है.

अविजीत रॉय की मौत के आरोपी
न्यायाधीश रहमान ने इससे करीब एक हफ्ते पहले ही रॉय के प्रकाशक फैसल दिपोन की हत्या के मामले में निष्कासित मेजर हक समेत आठ इस्लामी आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई थी. दिपोन की हत्या नवंबर 2015 में हुई थी. बांग्लादेश में साल 2013 से 2016 के बीच सेक्युलर एक्टिविस्ट्स, ब्लॉगर्स और नास्तिक लेखकों पर लगातार जानलेवा हमले हुए थे. इसके बाद से बांग्लादेशी सरकार ने दो एंटी टेररिज्म पुलिस यूनिट बनाई थी जो कट्टरपंथी आतंकियों के लिए खास तौर पर बनाई गई थी और इन यूनिट्स के बाद 100 से अधिक अपराधियों को मार गिराया गया है.


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