26/11 हमले के मुख्य हैंडलर साजिद मीर को 15 साल की सजा, पर्दे के पीछे की यह है असल कहानी

कोर्ट ने उस पर 4,20,000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

Update: 2022-06-26 02:53 GMT

आतंकियों के आका पाकिस्तान ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले के हैंडलर साजिद मजीद मीर के अपने देश में होने से ही इन्कार कर दिया। बाद में उसकी मौत की घोषणा कर दी। अब ऐसी क्‍या वजह रही कि मुंबई हमले के 14 साल बाद उसी साजिद मजीद मीर को आतंकी फंडिंग मामले में एक अदालत से 15 साल छह महीने की सजा दिलाकर जेल भेज दिया। आइए जानें पर्दे के पीछे की असल कहानी क्‍या है और क्‍यों पाकिस्‍तान को ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा...

यह है असल वजह

बताया जाता है कि आतंकी फंडिंग मामले में पश्चिमी देशों के अड़ने पर पाकिस्‍तान ने यूटर्न लिया है। यही नहीं इसके पीछे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का आतंकियों पर कार्रवाई को लेकर भी दबाव रंग लाया।

इसलिए छिपाई सचाई

दबाव के कारण पाकिस्तान ने मीर पर कार्रवाई तो कर दी, लेकिन हरसंभव कोशिश यह कि इसकी सूचना सार्वजनिक ना होने पाए। पंजाब पुलिस ने मीर को सजा की जानकारी मीडिया को नहीं दी, जबकि वह आमतौर पर ऐसी हर जानकारी देती रही है। दुनिया में उसकी छवि खराब ना हो इस वजह से पाकिस्‍तान ने यह सचाई छिपाई।

यह पाकिस्‍तान का दोहरा चरित्र

खस्ताहाल पाकिस्तान का यह दोहरा चरित्र ही है कि वह एक तरफ तो वैश्विक संस्थाओं से कर्ज हासिल करने के लिए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा कर रहा है। दूसरी तरफ उसे सार्वजनिक करने से भी परहेज कर रहा है।
दो माह तक साधे रखी चुप्पी

आतंकी मामलों में सजा होने पर अक्सर ढिंढोरा पीटने वाले पाकिस्तान की पंजाब पुलिस के आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) ने साजिद के मामले में दो माह तक चुप्पी साधे रखी। साजिद भारत में तो वांछित है ही, अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआइ) ने भी उस पर 50 लाख डालर का इनाम घोषित कर रखा है।
यह भी एक बड़ी वजह
साजिद को सजा ऐसे समय में हुई है, जब पेरिस स्थित वैश्विक आतंकी फंडिंग की निगरानी करने वाली संस्था एफएटीएफ के अधिकारी पाकिस्तान का दौरा करने वाले हैं। ये अधिकारी मनी लांड्रिंग तथा आतंकी फंडिंग के खिलाफ पाकिस्तान की पहल व कार्रवाई का सत्यापन करेंगे। अधिकारी अगर पाकिस्तान के कदमों से संतुष्ट हुए तभी वह वैश्विक संगठन की ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकेगा।
साढ़े पंद्रह साल कारावास की सजा

एक वरिष्ठ वकील ने शुक्रवार को बताया, 'महीने की शुरुआत में लाहौर के एक आतंकवाद रोधी न्यायालय ने आतंकी फंडिंग मामले में लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य 44 वर्षीय साजिद मीर को साढ़े पंद्रह साल कारावास की सजा सुनाई थी।' कोर्ट ने उस पर 4,20,000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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