पिता ने जताई खुशी जिन छात्रों को सजा-ए-मौत सुनाई गई है वे सभी घटना के वक्त 20 से 22 वर्ष के बीच के थे और फहद के साथ बांग्लादेश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ते थे. कुछ आरोपियों के वकील फारूक अहमद ने कहा कि फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील की जाएगी. तस्वीरेंः सजा-ए-मौत के सबसे भयानक तरीके अहमद ने मीडिया से कहा, "मैं इस फैसले से काफी निराश हूं. यह अन्याय है. वे युवा हैं और देश के सबसे होनहार छात्रों में से हैं. उनमें से कुछ के खिलाफ तो समुचित सबूत भी नहीं थे फिर भी उन्हें मौत की सजा सुनाई गई." सजा सुनाए जाने के बाद फहद के पिता बरकतुल्लाह ने पत्रकारों से कहा, "मैं इस फैसले से खुश हूं. मुझे उम्मीद है कि सजा पर अमल जल्द किया जाएगा." सजा के फैसले पर देश के न्याय मंत्री अनीसुल हक ने कहा कि इससे जाहिर होता है कि "ऐसे अपराध करने के बाद कोई भी बच नहीं पाएगा.
" छात्रों के एक और अहम संगठन छात्र अधिकार परिषद ने फैसले के समर्थन में प्रदर्शन किया और सजा पर जल्द अमल की मांग की. संगठन के महासचिव अकरम हुसैन ने कहा, "यह फैसला लोगों की जीत है." हाल के सालों में बीसीएल का नाम हत्या, हिंसा और उगाही जैसे मामलों में कई बार आया है. 2018 में उसके सदस्यों पर एक सरकार विरोधी आंदोलन को दबाने के लिए हिंसा के प्रयोग के आरोप लगे थे. ऐसी ही एक रैली में एक छात्र की तेज बस के नीचे आ जाने से मौत भी हो गई थी. मौत की सजा कत्ल किए गए छात्र फहद ने फेसबुक पर भारत और बांग्लादेश के उस समझौते की आलोचना की थी जिसके तहत भारत को दोनों देशों की सीमा पर बहने वाली नदी से पानी लेने की इजाजत दी गई थी. लीक हुई एक सीसीटीवी फुटेज में फहद को बीसीएल के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ हॉस्टल के गलियारे में जाते देखा गया था. इसके छह घंटे बाद उनका शव मिला. उन्हें बुरी तरह पीटा गया था.
यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जानेंः कोरोना काल में मौत की सजा इस घटना के बाद बांग्लादेश में भारी विरोध हुआ था और प्रदर्शनकारियों ने फहद के हत्यारों को सजा के साथ-साथ बीसीएल पर प्रतिबंध की भी मांग की. प्रधानमंत्री हसीना ने तब वादा किया था कि हत्यारों को 'सर्वोच्च सजा' मिलेगी. बांग्लादेश में मौत की सजा आम बात है. देश में सैकड़ों लोग मौत की सजा का इंतजार कर रहे हैं. वहां ब्रिटिश राज के समय से ही फांसी के जरिए मौत की सजा दी जाती है. अगस्त में एक अदालत ने जो समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं की हत्या के लिए छह इस्लामिक कट्टरपंथियों को मौत की सजा सुनाई थी. 2019 में 16 लोगों को 19 वर्षीय एक छात्रा को जिंदा जला देने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी.