पूरी दुनिया में बढ़े 18 फीसदी नए मामले, WHO ने चेताया- मौत का खतरा बरकरार

चीन की विनिर्माण एवं नौवहन क्षमता पर निर्भर अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला पर बुरा असर पड़ा।

Update: 2022-07-01 03:29 GMT

जिनेवा:विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वैश्विक स्तर पर 41 लाख से अधिक मामले सामने आने के बाद पिछले सप्ताह कोरोना वायरस संक्रमण के नये मामलों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने महामारी पर अपनी नवीनतम साप्ताहिक रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में मौतों की संख्या लगभग 8,500 रही, जो पिछले सप्ताह की तरह ही है।

एशिया और अमेरिका में मौत के मामलों में उछाल
रिपोर्ट के अनुसार, तीन क्षेत्रों पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और अमेरिका में कोविड से संबंधित मौत के मामलों में वृद्धि हुई है। बुधवार देर रात जारी रिपोर्ट के अनुसार, कोविड -19 के नये मामलों में सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि पश्चिम एशिया में देखी गई, जहां 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया में संक्रमण लगभग 32 प्रतिशत और अमेरिका में लगभग 14 प्रतिशत बढ़ा है।
WHO चीफ बोले- कोरोना खत्म नहीं हुआ
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम गेब्रेयेसस ने कहा कि 110 देशों में मामले बढ़ रहे हैं और ज्यादातर मामले ओमीक्रोन बीए.4 और बीए.5 के हैं। उन्होंने कहा कि यह महामारी बदल रही है, लेकिन यह खत्म नहीं हुई है। उन्होंने देशों से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और 60 से अधिक उम्र के लोगों सहित अपनी सबसे संवेदनशील आबादी समूहों का टीकाकरण करने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि लोगों का टीकाकरण नहीं होता है तो गंभीर बीमारी और मौत का खतरा है।

अब तक 1.2 अरब से अधिक वैक्सीन लगाई गई
टेड्रोस ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 1.2 अरब से अधिक कोविड-19 टीके लगाए जा चुके हैं और गरीब देशों में औसत टीकाकरण दर लगभग 13 प्रतिशत है। इस बीच चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई में दो महीने के लॉकडाउन के बाद कोविड-19 का स्थानीय स्तर पर संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आने के बाद होटल-रेस्तरां में खानपान की अनुमति दी जा रही है।


चीन ने प्रतिबंधों में ढील देनी शुरू की
चीन के अधिकारियों ने कोरोना वायरस के प्रसार एवं उसकी वजह से होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए अपनी 'कोई कोविड नहीं' की कठोर नीति की सराहना की है । हालांकि इस नीति के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को भारी कीमत चुकानी पड़ी और चीन की विनिर्माण एवं नौवहन क्षमता पर निर्भर अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला पर बुरा असर पड़ा।


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