आर्थिक संकट से जूझ रहे अफगान में 150 मीडिया संस्थान बंद, बने पत्रकार मजदूर

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां आम नागरिकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

Update: 2021-10-02 14:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |    अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां आम नागरिकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि तालिबान अपने साथ अफगानियों के लिए बेरोजगारी भी लेकर आया है। हालत यह हो गई है कि कलम चलाने वाले हाथ अब ईंट बना रहे हैं और मजदूर बन गये हैं। बदगिस प्रक्षेत्र के फ्रेज कोह शहर में कभी बतौर पत्रकार करने वाले जबिउल्लाह वफा ने कलम छोड़ दिया है और अब वो अपने परिवार का पेट भरने के लिए मजदूर के तौर पर काम करते हैं और ईंट बनाते हैं। जबिउल्लाह वफा के परिवार में 10 सदस्य हैं।

अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत आने के बाद जबिल्लाह वफा उन सैकड़ों अफगानियों में शामिल हैं जिनके आय का साधन खत्म हो गया यानी जिनकी नौकरियां अचानक चली गईं। न्यूज एजेंसी 'Khaama Press' लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से मीडिया हाउस बंद हो गया और उनकी नौकरी चली गई। एजेंसी से बातचीत में पूर्व पत्रकार ने कहा, 'तालिबान के आने के बाद स्थानीय मीडिया संस्थान ने मुझे नौकरी से निकाल दिया। करीब 2 महीने हो गए और वो एक अदद नौकरी के लिए तरस रहे हैं। परिवार का पालन-पोषण करने के लिए मैंने तय किया कि मैं अपने पिता के साथ ईंट बनाने का काम करूंगा।'
जबिउल्लाह वफा के मुताबिक उनकी तरह अफगान के सैकड़ों पत्रकार अभी वहां बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाई है कि वो उनकी मदद करें। एक गंभीर बात यह भी है कि पिछले 2 महीने के दौरान अफगानिस्तान में करीब 150 मीडिया संस्थान बंद हो गए। तालिबान के कब्जे के बाद से इन सभी संस्थानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था। जिसकी वजह से संस्थान बंद हो गये।
'Tolo News' के मुताबिक तालिबान ने वहां कई पत्रकारों पर प्रतिबंध भी लगा रखा है। जिसकी वजह से मीडिया संस्थानों के कामकाज भी प्रभावित हुए हैं। एक पत्रकार ने बताया कि यहां मीडिया एडवरटाइजमेंट पर निर्भर हैं। लेकिन अभी कहीं से भी एडवरटाइजमेंट नहीं मिल रहा। ऐड नहीं मिलने की वजह से उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।


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