भूकंप के कारण 1,086 लोगों की हुई मौत, फिर सरकार को बसाना पड़ा 'नया शहर'
आस-पास के कस्बों और गांवों में फिर से घरों को बनाया गया.
दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए जाते रहते हैं. धरती के भीतर टैक्टोनिक प्लेट्स में हलचल होने से इसकी सतह पर कंपन होने लगता है, इसे ही भूकंप के तौर पर जाना जाता है. अब तक दुनियाभर में आए भूकंप के झटकों से करोड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. अमूमन हर रोज दुनिया के किसी न किसी हिस्से में लोगों को भूकंप के झटकों से रू-बरू होना पड़ता है. ऐसा ही एक भूकंप का झटका आज से करीब 51 साल पहले तुर्की (Turkey) में आया, जिसमें एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.
28 मार्च 1970 तुर्की के क्यूटाया प्रांत (Kütahya Province) के गेडिज जिले (Gediz District) में रहने वाले लोगों के लिए एक काली तारीख से कम नहीं है. इस दिन गेडिज में भूकंप का इतना जबरदस्त झटका आया कि हजारों लोगों के आशियानें जमींदोज हो गए. वहीं, एक हजार से ज्यादा लोगों को अपने प्रियजनों का चेहरा दोबारा देखने को नसीब नहीं हुआ. इस दिन रिक्टर स्केल पर 7.2 तीव्रता ने गेडिज को हिला कर रख दिया. ये भूकंप रात 11 बजे आया, इस कारण कई लोगों की मौत तो घरों के मलबे के नीचे दबने से हो गई.
भूकंप के झटकों के बाद घरों से बाहर निकले लोग
गेडिज में रहने वाले लोगों के लिए 28 मार्च का दिन एक आम दिन की तरह बीत रहा था. लेकिन रात के समय यहां भूकंप के तेज झटके आने लगे. इस कारण पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई. राजधानी अंकारा से 800 मील की दूरी पर बसे इस कस्बे में आठ हजार लोग रहते थे. रात होने की वजह से कई लोग अभी सो ही रहे थे. भूकंप के झटके महसूस करने के बाद लोग घरों से बाहर निकलकर सड़कों पर आ गए. चश्मदीदों ने बताया कि इलाके में स्थित कुछ पुराने घर देखते ही देखते आंखों के सामने ही गिरने लगे.
आग से जलने से हुई दर्जनों लोगों की मौत
भूकंप के झटके इतने तेज थे कि कुछ ही मिनटों में शहर के आधे से ज्यादा घर जमींदोज हो चुके थे. जो लोग इन घरों में फंसे हुए थे, उनकी मौत मलबे के नीचे फंस कर ही हो गई. कई लोगों की मौत तो सिर्फ जलने की वजह से ही हो गई. दरअसल, भूकंप से लोगों के घरों में रखे स्टोव पलट गए और आग गई. इससे घरों में आग की लपटें उठ आईं. वहीं, जब लोगों ने इससे बचकर बाहर निकलने का प्रयास किया तो भूकंप के क्षतिग्रस्त हुए घर से बाहर निकलने में वे नाकामयाब हुए. इस तरह कई लोग सिर्फ आग के चलते ही मारे गए.
1,086 लोगों की हुई मौत
पूरे गेडिज जिले में 254 छोटे-बड़े गांव थे. भूकंप का इनपर जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला. धरती के कंपन से जिले के करीब आधे से ज्यादा घर पूरी तरह से तबाह हो चुके थे. घटना की जानकारी मिलते ही राहत एवं बचाव टीम को भेजा गया. टीम ने बताया कि नौ हजार से ज्यादा घर या तो खंडहर में तब्दील हो गए हैं या फिर वो टूट चुके हैं. बचाव टीम ने मलबे में फंसे लोगों की लाशों को निकालना शुरू किया. वहीं, घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया. राहत कार्य समाप्त होने पर 1,086 लोगों की मौत हो चुकी थी और 1,260 लोग बुरी तरह घायल हो गए थे.
सरकार ने एक नए शहर में लोगों को बसाया
तुर्की के गेडिज जिले को हमेशा ही प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलनी पड़ती थी. यहां भूकंप और बाढ़ की घटनाएं अक्सर ही होती रहती थी. इस कारण सरकार ने 1970 में आए भूकंप के बाद एक प्रस्ताव पारित किया और यहां से सात किलोमीटर दूर 'येनि गेडिज' नाम से एक नया कस्बा बसाया. यहां पर भूकंप रोधी घरों का निर्माण किया गया और गेडिज के लोगों को यहां रहने के लिए भेजा गया. आस-पास के कस्बों और गांवों में फिर से घरों को बनाया गया.