अफगानिस्तान में 1000 लश्कर-जैश आतंकी दे रहे तालिबान का साथ, भारत की बढ़ी चिंता
अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा करने के लिए तालिबान ने पाकिस्तान स्थित भारत विरोधी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद से हाथ मिला लिया है।
अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा करने के लिए तालिबान ने पाकिस्तान स्थित भारत विरोधी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद से हाथ मिला लिया है। 200 से ज्यादा समूहों के रूप 1,000 से ज्यादा आतंकी तालिबान के साथ अफगानी सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, इनमें से कम से कम आठ आत्मघाती हमलावर भी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इन रिपोर्टों के बाद भारत की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच, तालिबान ने अफगानिस्तान के करीब 85 फीसदी इलाकों पर अपना नियंत्रण होने का दावा किया है। खासतौर से दक्षिण अफगानिस्तान में तालिबान ने कई इलाकों पर तेजी से कब्जा कर लिया है।
सुरक्षा एजेंसियों से जुडे़ सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित हैदराबाद में लश्कर के कैंपों में तालिबान लड़ाके प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह ट्रेनिंग पाकिस्तानी सेना की मदद से दी जा रही है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारत पर आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले लश्कर और जैश संगठनों के ये आतंकी पूर्वी अफगानिस्तान के कुणार और नागरहार प्रांतों और दक्षिण पूर्वी इलाकों में स्थित हेलमंद और कंधार प्रांतों में तालिबान के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान के ये चारों इलाके पाकिस्तान की सीमा से लगे हुए हैं। कुणार और नागरहार की सीमाएं पाकिस्तान के जनजातीय बहुल इलाकों से लगती हैं, वहीं, बाकी दो की सीमाएं बलूचिस्तान से लगी हुई हैं।
375 में से 200 जिलों में लड़ाई लड़ रहा है तालिबान
भारत में अफगानिस्तान के दूत फरीद ममूंदजई ने अपने देश में लगातार खराब होते हालात के बारे में कहा, तालिबान को हिंसा बंद करने की जरूरत है और इस खूनखराबे का अंत होना चाहिए। उन्होंने कहा, दो लाख से ज्यादा अफगानी नागरिक पहले ही विस्थापित हो चुके हैं।
अफगानिस्तान के कुल 375 जिलों में से 200 जिलों में तालिबान लड़ाकों और अफगान सुरक्षा बलों के बीच जंग हो रही है। ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान और ईरान जैसे देशों से लगती अफगानिस्तान की सीमाओं पर स्थित 18 जिलों में हालात संकटपूर्ण हैं।
2020 के शांति समझौते का उल्लंघन, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरे की घंटी
सूत्रों के मुताबिक, लश्कर और जैश से तालिबान का मदद लेना 2020 के शांति समझौते का उल्लंघन है, जिस पर तालिबान और अमेरिका ने दस्तखत किए थे। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आकलन समर्थन और पाबंदी निगरानी टीम ने जून में कहा था कि अफगानिस्तान तालिबान ने अलकायदा और दूसरे विदेशी आतंकी संगठनों से अपने संबंध अभी तक खत्म नहीं किए हैं।
पाकिस्तान का कटाक्ष, अफगानिस्तान में डूब रहा भारत का निवेश
भारत के कंधार वाणिज्य दूतावास बंद होने की अफवाहों को लेकर पाकिस्तानी सेना ने कटाक्ष किया है। पाक सेना से प्रोपेगंडा विंग इंटर सर्विजेस पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत का निवेश डूबता दिख रहा है।
पाकिस्तान शुरू से ही अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी का विरोध करता रहा है। इफ्तिखार ने पाकिस्तान के एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि अगर भारत ने अफगानिस्तान में नेकनीयती से निवेश किया होता तो आज उसे निराशा नहीं होती।
चीन ने हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया
चीन ने कहा है कि अफगानिस्तान में मौजूद सुरक्षा संकट के लिए अमेरिका जिम्मेदार है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वैंग वेनबिन ने कहा, अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी कर अमेरिका अपनी जवाबदेही से पीछे हट रहा है। उसने ऐसा कर अफगानिस्तान के लोगों को जंग में झोंक दिया है। अफगानिस्तान मसले में अमेरिका मूल रूप से गुनहगार है।