यह सही है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है और मौतों का आंकड़ा भी लगातार कम हो रहा है, लेकिन इसके आधार पर यह मान लेना सही नहीं होगा कि कोरोना की छुट्टी होने ही वाली है। लोगों को अभी सतर्कता बरतने की जरूरत है, क्योंकि इन दिनों प्रतिदिन लगभग दस हजार लोग महामारी की चपेट में आ रहे हैं और देश के कुछ हिस्सों, खासकर महाराष्ट्र और केरल में कोरोना मरीजों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। मुंबई में तो कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते सख्ती बढ़ाने की जरूरत जताई जाने लगी है। उचित होगा कि देश के जिन हिस्सों में कोरोना संक्रमण में आशानुकूल कमी नहीं आ रही है, वहां टीकाकरण की गति और तेज की जाए। इसी तरह यह सही समय है कि जो भी टीका लगवाने के इच्छुक हों, उन्हेंं यह सुविधा हासिल करने दी जाए। इसके अलावा निजी क्षेत्र के अस्पतालों को भी टीकाकरण करने की अनुमति प्रदान की जाए। उनका सहयोग जितनी जल्दी लिया जाए, उतना ही10 days of rain and earthquake orgy, houses on mountains fell like toys, 1126 people killeभारी बारिश के बाद पहाड़ों पर हमेशा ही भूस्खलन (Landslide) और मिट्टी धंसने का खतरा बन जाता है. भूस्खलन कई बार बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन जाता है. बारिश के चलते पहाड़ों की मिट्टी कटने लगती है. इस कारण पहाड़ों पर बसे शहरों और कस्बों में खतरा बढ़ जाता है. यहां रहने वाले लोगों का भूस्खलन की चपेट में आकर मारे जाने का खतरा अधिक होता है. भूस्खलन की एक ऐसी घटना फिलीपींस (Philippines) में हुई जब 1,126 लोगों की मौत हुई. 10 दिनों से लगातार हो रही बारिश (Rain) और फिर हल्के भूकंप (Earthquake) के चलते भूस्खलन आया. जो इन लोगों के लिए काल बन गया. ये घटना आज ही के दिन 17 फरवरी को फिलीपींस के लीते प्रांत में हुई.
फिलीपींस (Philippines) के लीते प्रांत (Leyte Province) में 10 दिनों से लगातार बारिश हो रही थी. बारिश से लोगों का हाल बेहाल हो चुका था और अब लोगों के घरों में पानी घुसना शुरू हो गया था. इसी दौरान भूकंप के हल्के झटके आने शुरू हो गए. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता अधिक नहीं थी, लेकिन लोगों के भीच भय का माहौल था. बारिश के चलते पहाड़ी इलाकों में मिट्टी का कटाव हो रहा था. इस कारण यहां बसे इलाकों पर भूस्खलन का खतरा मंडराने लगा. वहीं, जब भूकंप आया तो इसने भूस्खलन के खतरे को अधिक बढ़ा दिया. आखिर वही हुआ जिसका सभी को डर था. 17 फरवरी, 2006 को लीते प्रांत में एक भूस्खलन आया.
गांव के ऊपर ऊंची पहाड़ियों से गिरने लगी मिट्टी
लीते प्रांत में स्थित गुइन्सगॉन गांव कब्रगाह बनकर उभरा. भूस्खलन से सबसे ज्यादा तबाही इसी गांव में हुई. गांव जिस पहाड़ी के ऊपर स्थित था, वहां बारिश के चलते मिट्टी कट गई. दूसरी ओर, ऊंची पहाड़ियों से भी गांव के ऊपर मिट्टी का गिरना शुरू हुआ. जहां गांव के लोग पहले से ही मिट्टी के कटाव के चलते बदतर हालात का सामना कर रहे थे. वहीं, अब ऊंचाई पर स्थित पहाड़ों से मिट्टी गिरने से भी लोगों के ऊपर खतरा अधिक बढ़ गया. भूस्खलन के चलते गांव में स्थित स्कूल पूरी तरह से तबाह हो गया. जिस समय स्कूल के ऊपर ये आफत आई, उस समय स्कूल में 246 बच्चे और सात टीचर्स मौजूद थे. दूसरी ओर, सैकड़ों लोग भूस्खलन की चपेट में आकर फंस चुके थे.
मलबे से पटी सड़कें, बचाव कर्मियों को हुई परेशानी
फिलीपींस सरकार ने सैन्य कर्मियों सहित बचाव दल को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों में रवाना किया गया. हालांकि, बारिश की वजह से लोगों को बचाने में कठिनाई आ रही थी. भूस्खलन के चलते फिसलन और मलबे के चलते सड़कों के बंद होने से बचाव कर्मियों को परेशानी हो रही थी. फिलीपींस रेड क्रॉस सोसाएटी ने भूस्खलन के प्रभावित लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता की मांग की. इस घटना से प्रभावित लोगों की मदद के लिए 1.5 मिलियन डॉलर इकट्ठा किए गए. इस पैसे की मदद से रबर बूट्स, रस्सियां, कपड़े, टॉर्च और दवाईयों को खरीदा गया. अमेरिका ने भी फंसे हुए लोगों की मदद के लिए तीन जहाजी बेड़ों को फिलीपींस भेजा.
सुरक्षा कारणों से रोका गया राहत कार्य
बचाव दल पूरी जी-जान से फंसे हुए लोगों को बचाने में जुटा हुआ था. इन लोगों की मदद के लिए मलेशिया से 60 लोगों का एक दल भी घटनास्थल पर पहुंचा. इसके बाद मलबे और कीचड़ से लोगों और लाशों को निकालने का सिलसिला शुरू हुआ. 17 फरवरी की रात को 53 लोगों को मलबे से जीवित निकाला गया. हालांकि, रात के समय राहत कार्य को सुरक्षा कारणों से रोकना पड़ा. लेकिन, इसके बाद कई दिनों तक राहत कार्य जारी रहा. जब तक राहत कार्य समाप्त हुआ, तब तक 1,126 लोगों की मौत हो चुकी थी. वहीं, सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. अच्छा, क्योंकि जिन्हेंं अभी टीका लगाया जाना है, उनकी संख्या बहुत अधिक है।