अफगानिस्तानी किसानों को विश्व बैंक से 15 करोड़ डॉलर की मदद, कई किश्तों में मिलेंगे पैसे
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काबुल. पश्चिम में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते खाद्यान्न संकट झेल रही अफगानिस्तान में विश्व बैंक ने मदद का हाथ बढ़ाया है. उसने अफगानिस्तान के किसानों को 15 करोड़ डॉलर की सहायता राशि दी है. अफगानिस्तान की खाद्य सुरक्षा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक, किसानों को उनके कृषि उत्पाद बढ़ाने के अलावा बढ़ती असुरक्षा को कम करने के लिए यह मदद मुहैया कराई गई है. एफएओ ने बताया कि देश में व्यापक मानवीय संकट है.
इस दबाव के कारण अफगानिस्तानियों के बीच कई स्तरों पर अत्यधिक खाद्य असुरक्षा को देखते हुए विश्व बैंक ने यह राशि जारी की है. खामा प्रेस के मुताबिक, यह राशि कई किश्तों में मिलेगी. विश्व बैंक ने बताया कि दूसरी किश्त के साथ 4.5 करोड़ डॉलर आगामी 24 माह में जारी होने की उम्मीद है. एफएओ महानिदेशक क्यू डोंग्यु ने कहा, हम उदार व समय पर की गई मदद के लिए विश्व बैंक व उसके सदस्यों के आभारी हैं.
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79.3 करोड़ की परियोजना पहले ही मंजूर
अगस्त 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से ही अफगानिस्तान आर्थिक संकट के दौर में है. वहां मानवाधिकारों की स्थिति भी दयनीय है. ऐसे में अफगानिस्तान पुनर्निर्माण ट्रस्ट कोष और विश्व बैंक प्रबंधन समिति ने जरूरतमंदों को तत्काल राहत और स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए 79.3 करोड़ डॉलर की परियोजना को पहले ही मंजूरी दी है.
कई किश्तों में मिलेंगे पैसे
एएनआई ने खामा प्रेस की रिपोर्ट के हवाले से कहा, एफएओ के अनुसार, यह विश्व बैंक की सहायता की पहली किश्त है, दूसरी किस्त के साथ, कुल 45 मिलियन अमेरीकी डॉलर, आगामी 24 महीनों के भीतर जारी होने की उम्मीद है.
वर्ल्ड बैंक ने समय पर की मदद
वर्ल्ड बैंक से अफगान किसानों की सहायता को 'उदार और समय पर' किया गया उपाय बताते हुए FAO ने कहा, यूक्रेन में युद्ध के कारण अफगानिस्तान में खाद्य असुरक्षा बढ़ने पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है. एफएओ महानिदेशक क्यू डोंग्यु ने कहा, हम उदार और समय पर की गई मदद के लिए विश्व बैंक और उसके सदस्यों के आभारी हैं. उन्होंने कहा, वर्ल्ड बैंक से आर्थिक मदद अफगानिस्तान में गरीब किसानों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है.
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कैसी है अफगानिस्तान की हालत?
अगस्त, 2021 में अफगान सरकार के पतन और तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से आ रही मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति दयनीय हो गई है. लड़ाई समाप्त होने और अमेरिकी सैनिकों के लौटने के 10 महीनों के बाद भी मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की खबरें अक्सर आती हैं. खासकर महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.
इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान में महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने के कारण आलोचना का सामना भी करना पड़ा है. 2021 को अफगान महिलाओं के लिए सबसे खराब साल बताया गया, क्योंकि तालिबान शासन ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के बाद महिलाओं की शिक्षा और काम के अधिकार वापस ले लिए हैं. आलोचना से बेपरवाह तालिबान शासन ने कुछ दिनों बाद अफगान महिलाओं के अधिकारों को अनिश्चितकाल के लिए भी छीन लिया. (एजेंसी इनपुट)