मिठवल ब्लॉक में मनरेगा योजना में लगा भ्रष्टाचार का ग्रहण
बांसी सिद्धार्थनगर। देश की सबसे बड़ी रोजगार योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार (मनरेगा) अब कथित ज़िम्मेदारों की खाऊ कमाऊ नीति के कारण पूरी तरीके से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। ग्राम पंचायत के जिम्मेदार इस योजना में तमाम तरीके से सेंधमारी करके पूरी योजना पर पलीता लगा दिया है। जबकि शासन द्वारा इस …
बांसी सिद्धार्थनगर। देश की सबसे बड़ी रोजगार योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार (मनरेगा) अब कथित ज़िम्मेदारों की खाऊ कमाऊ नीति के कारण पूरी तरीके से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। ग्राम पंचायत के जिम्मेदार इस योजना में तमाम तरीके से सेंधमारी करके पूरी योजना पर पलीता लगा दिया है। जबकि शासन द्वारा इस योजना का मकसद था कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों को रोजगार मिल सके ताकि वे रोजगार के लिए बाहरी प्रदेशों में ना जाएं। मगर ब्लाक के जिम्मेदारों ने इस योजना में तमाम तरह के हथकंडे निकाल कर इस कदर लूट मचाई कि सरकार की पूरी मंशा धराशाई होकर रह गई है।
मामला विकास खण्ड मिठवल के ग्राम पंचायत जोगिया बुजुर्ग, पुरैना व तिगोड़वा का है। जहां पर मनरेगा कार्यों में चल रहे मस्टररोल में अधिक मजदूरो की जगह बहुत ही कम मजदूर कार्य करते दिखाई दिए। कहीं पुराने फोटो से ही एन एम एम एस ज़िम्मेदारों द्वारा कर दिया जाता है। ग्राम पंचायत जोगिया बुजुर्ग में रणधीर के खेत के पास गड्ढा खुदाई एवं सुन्दरीकरण कार्य पर 90 मजदूर की जगह मौके पर लगभग 15 से 20 मजदूर वहीं गौरी के घर से शंकर के खेत तक इण्टरलाकिंग कार्य मे 37 मजदूर की जगह लगभग 10 ही कार्य करते दिखे। ग्राम पंचायत पुरैना में कृष्ण लाल के खेत से पुष्कर के खेत तक एग्रोरोड में 14 मजदूर की जगह 3 से 4 व किसलाती के खेत से रामधनी के खेत तक एग्रो रोड पर 2से 3 मजदूर एन एम एम एस में दिखाई दिए। इसी प्रकार ग्राम पंचायत तिगोड़वा में निविहवा का अमृत सरोवर कार्य पर 43 की जगह लगभग 18 से 20 मजदूर दिखाई दिए। ग्रामीणों की माने तो गाँव में फर्जी मनरेगा मजदूर कागजों में सिर्फ कार्य करते हैं। बताया जाता है कि सैकड़ों की संख्या में प्रधान द्वारा अपने स्वार्थ के लिए मनरेगा योजना के लिस्ट में अपने चहेतों का नाम डलवा दिया और उनके नाम पर भुगतान भी होता रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जिले के सम्बन्धित उच्चाधिकारी मनरेगा कार्यों का औचक निरीक्षण करे तो सच्चाई सामने आ जायेगी।