विधिक शिक्षा पुनरावलोकन एवं संभावना’ विषय पर शताब्दी राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा

वाराणसी: बीएचयू विधि संकाय इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. विभिन्न शैक्षणिक चर्चाओं और कार्यक्रमों की कड़ी में संकाय की तरफ से ‘भारतवर्ष में विधिक शिक्षा पुनरावलोकन एवं संभावना’ विषय पर शताब्दी राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा. 3 और 4  को यह आयोजन संकाय में किया जाएगा. विधि संकाय प्रमुख प्रो. सीपी उपाध्याय ने …

Update: 2024-02-08 00:17 GMT

वाराणसी: बीएचयू विधि संकाय इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. विभिन्न शैक्षणिक चर्चाओं और कार्यक्रमों की कड़ी में संकाय की तरफ से ‘भारतवर्ष में विधिक शिक्षा पुनरावलोकन एवं संभावना’ विषय पर शताब्दी राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा. 3 और 4 को यह आयोजन संकाय में किया जाएगा.
विधि संकाय प्रमुख प्रो. सीपी उपाध्याय ने प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि भारत की वर्तमान विधिक शिक्षा को आधुनिक रूप में प्रारंभ करने का श्रेय बीएचयू विधि संकाय को जाता है. यहां विधि की पढ़ाई 1923 से प्रारंभ हुई. इसका उद्घाटन प्रख्यात कानूनविद सर आशुतोष मुखर्जी ने किया था. आगे चलकर प्रो. आनंद ने 1960 के दशक में पूरे भारत को 3 वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम दिया. उन्होंने संकाय और विभाग की अन्य उपलब्धियां भी गिनाईं. बताया कि शताब्दी सम्मेलन में प्रबुद्ध विद्वानों को आमंत्रित कर विधिक शिक्षा के परिपेक्ष को इस बाजारवादी युग में पुन परिभाषित करना उद्देश्य है.

दिवसीय सम्मेलन में ये रहेंगे उपस्थित: पूर्व कुलपति एनएलयू बेंगलुरु प्रो. एनएल मित्रा मुख्य वक्ता होंगे. प्रो. आर. वेंकट राव कुलपति इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च गोवा, डॉ. बीसी निर्मल पूर्व प्रमुख एवं डीन विधि संकाय बीएचयू और पूर्व कुलपति एनयूएसआरएल रांची, प्रो. उषा टंडन कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विवि प्रयागराज, प्रो. योगेश प्रताप सिंह कुलपति नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी त्रिपुरा, प्रो. अंजू वली टिकू डीन, विधि संकाय दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. पीबी काणे गोल्ड मेडल विजेता प्रो. ब्रजकिशोर स्वाई, प्रो. अमर पाल सिंह पूर्व डीन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, प्रो. हरिवंश दीक्षित संकाय प्रमुख लॉ कॉलेज तीर्थंकर विवि मुरादाबाद सहित देश के अन्य विशिष्ट कानूनविद कार्यक्रम में शामिल होंगे.

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