ग्रेटर नॉएडा के प्राइवेट स्कूल ने हाई कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया

ग्रेटर नोएडा के प्राइवेट स्कूलों को लेकर सनसनीख़ेज़ ख़ुलासा

Update: 2024-04-02 05:31 GMT

नॉएडा न्यूज़: नोएडा-ग्रेटर नोएडा के प्राइवेट स्कूलों को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। आपको बता दें कि एक साल से भी ज्यादा समय बीतने के बाद भी प्राइवेट स्कूलों (Private School) ने हाई कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। हाई कोर्ट में प्राइवेट स्कूलों को कोरोना काल (Corona Period) में लिए गए फीस का 15% लौटने या फीस में ही समायोजित करने के आदेश दिए थे। लेकिन इस आदेश का प्राइवेट स्कूल वाले अनदेखी कर रहे हैं।

बढ़ गई स्कूलों की फीस

हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक फीस वापसी के लिए अभिभावक लगातार मांग कर रहे थे लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने फीस लौटना तो दूर, 2024-25 सत्र के लिए विभिन्न मदों में फीस ही बढ़ा दिए हैं। ऊपर से स्कूलों को यूनिफॉर्म और किताबों से करोड़ो कमीशन की कमाई अलग हो रही है।

RTI का जवाब नहीं दे रहे हैं DIOS

गौतमबुद्ध नगर (Gautam Buddha Nagar) जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ धर्मवीर सिंह ने कभी भी यह जानकारी सार्वजनिक नहीं किया गया कि जिले के कितने स्कूलों ने फीस लौटाया और कितने स्कूलों ने नहीं लौटाया। इसके साथ ही यह भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है कि आदेश ना मानने वाले स्कूलों पर क्या कार्यवाही हुई है। इस सम्बन्ध में कई अभिभावकों ने आरटीआई के जरिए सूचना मांगी थी, लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी जिला विद्यालय निरीक्षक ने अभी तक आरटीआई का जवाब नहीं दिया है।

सूत्रों के अनुसार गौतमबुद्ध नगर जिले में 120 में से केवल 50 प्राइवेट स्कूलों ने ही फीस को समायोजित किया है, शेष 70 प्राइवेट स्कूलों ने इस आदेश का पालन नहीं किया है। प्रत्येक प्राइवेट स्कूल में औसतन 2000 बच्चे पढ़ते हैं और इन प्राइवेट स्कूलों की औसत फीस 4000 रुपये महीने है। ऐसे में वार्षिक शुल्क लगभग 672 करोड़ रुपये के आस पास होती है। इसके हिसाब से 15% रकम 100 करोड़ रुपये बैठती है। यानि प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों के 100 करोड़ रूपये डकार लिए और जिम्मेदार अधिकारी ने बस नोटिस नोटिस कर लीपापोती किया।

एनसीआर अभिभावक संघ के फाउंडर सुखपाल सिंह तूर ने कहा कि स्कूल फीस वापसी के लिए अभिभावक शिकायत पर शिकायत कर रहे हैं लेकिन जिम्मेमदार अधिकारी ने कोई कार्यवाही नहीं किया। पिछले साल सैकड़ों स्कूलों को नोटिस भेजा गया था लेकिन उसके बाद क्या कार्यवाही हुई वह DIOS के अलावा किसी को जानकारी नहीं। एनसीआर अभिभावक संघ से कई अभिभावकों ने आरटीआई के जरिए सूचना मांगी लेकिन DIOS सूचना नहीं दे रहे।

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