जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दवाओं के बढ़ते बिल आपको भी परेशान करते हैं तो आपके लिए एक राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने हाल ही में 'फार्मा सही दाम' नामक एप लॉन्च किया है, जो उपभोक्ताओं को ब्रांडेड दवाओं के बोझ को कम करने में मदद करेगा। यह एप राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया है और इस एप को एंड्रॉयड और आईओएस दोनों यूजर द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। एप को उपभोक्ताओं को सस्ते लेकिन समान गुणवत्ता वाले ब्रांडेड दवाओं के ऑप्शन की सुविधा देने के लिए पेश किया गया है। यानी एप की मदद से महंगी दवाई के सस्ते ऑप्शन को खोजा जा सकता है।
अगर आपके डॉक्टर ने आपकी बीमारी के लिए कोई ब्रांडेड दवा लिखी है, तो आप एप की मदद से उसके सस्ते ऑप्शन को खोज सकते हैं। इसके लिए आपको एप में दवा का नाम टाइप करना है। और फिर यह आपको ब्रांडेड दवाई के सस्ते ऑप्शन की पूरी लिस्ट दिखा देगा।
जिन्हें आप कहीं से भी खरीद सकते हैं। ध्यान रहे कि ये दवाएं अलग-अलग नामों से उपलब्ध हो सकती हैं, लेकिन दवा का काम वैसा ही रहेगा। इन दवाइयों के भी औषधीय गुण समान ही रहेंगे और उनका काम भी एक जैसा ही होगा।
इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं। एक उदाहरण के रूप में, ऑगमेंटिन भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली एंटीबायोटिक दवाओं में से एक है। इस ब्रांडेड दवा की 10 टैबलेट्स कीमत लगभग 200 रुपये है।
हालांकि, एप में आपको इस दवाई के कम से कम 10 विकल्प मिलेंगे जो इसके मुकाबले काफी सस्ते हैं। इन टैबलेट्स को 8-10 रुपये की कीमत में खरीदा जा सकता है। उसी तरह, पैन डी के 15 कैप्सूल्स की कीमत 199 रुपये है और इसी फॉर्मूले वाली अन्य दवाई के 10 कैप्सूल्स को मात्र 22 रुपये में खरीदा जा सकता है।भारत में दवाइयों की कीमत अन्य वस्तुओं की तरह आपूर्ति और मांग पर निर्भर करती है। हालांकि, करीब 33 फीसदी से अधिक दवाइयों की कीमतों पर सरकार का नियंत्रण है। यानी इन दवाइयों की कीमतों में मनमर्जी से बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है।
दरअसल, नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने आवश्यक दवाइयों की लिस्ट बनाई है और इनकी कीमत का कंट्रोल अपने हाथ में लिया है। भारत में 355 दवाओं और उनके 882 फॉर्मूलेशन की कीमतें ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) के अंतर्गत निर्धारित की गई हैं।