जनता से रिश्ता वेबडेस्क | Polygraph Test किसी व्यक्ति के झूठ पकड़ने की एक जाँच की प्रक्रिया है। चोर की दाढ़ी में तिनका कहावत तो अपने जरूर सुनी होगी। इसका मतलब होता है कि चोर अपने चोरी का सबूत खुद दे देता है। इसी प्रकार जब कोई चोर या अपराधी चोरी या कोई अपराध करता है तो उसका चेहरा, चेहरे की रंगत और हावभाव यह बता देता है कि इसने चोरी की है।
जैसे अगर कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है, माथे पर पसीना आने लगता है, आवाज दब जाती है आदि अनेक संकेत वह दे देता है। इसी मनोविज्ञानी और चिकित्सकीय प्रक्रिया का मिला जुला रूप Polygraph Test कहलाता है।
Polygraph Test क्या होता है ?
Table of Contents
Polygraph Test क्या होता है ?
Polygraph Test कैसे किया जाता है ?
Polygraph Test Machine या Lie Detector Machine कैसा होता है?
Polygraphy Test Questions (पॉलीग्राफी टेस्ट में कैसे प्रश्न पूछे जाते हैं?)
Polygraph Test FAQ:
क्या Polygraph Test भारत में लीगल है?
क्या Polygraph Test 100% सही होता है?
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Polygraph Test इस धारणा पर आधारित है की जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसका शरीर कई रूपों में संकेत देता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है। जैसे हार्ट बीट तेज होना, ब्लड प्रेशर में उतार चढाव होना, पल्स रेट में बदलाव, पसीना आना आदि संकेतों से झूठ का पता लगाया जाता है।
Polygraph Test की प्रक्रिया एक विशेष मशीन के द्वारा किया जाता है जिसे Polygraph Machine या Lie detector Machine कहा जाता है। इस मशीन के द्वारा जब किसी आरोपी की जांच की जाती है तो उसके द्वारा झूठ बोलने पर मशीन इंडिकेट कर देती है।
Polygraph Test कैसे किया जाता है ?
Polygraph Test एक विशेष मशीन के द्वारा विशेषज्ञ के द्वारा किया जाता है। इस मशीन को Polygraph Machine या Lie detector Machine कहा जाता है। यह मशीन टेस्ट किए जाने वाले व्यक्ति के जांच के दौरान शरीर की कई ऐच्छिक अनैछिक क्रियाओं और संकेतों को बताता है। मसलन उसकी हार्टबीट, ब्लड प्रेशर, आंखों, ओट की गति, पसीना आदि को इंडिकेट करता है। जब व्यक्ति झूठ बोलता है तो इनमे से कोई न कोई संकेत उसका बॉडी दे देता है जो मशीन स्वयं रिकॉर्ड कर एक स्क्रीन पर दिखा देता है।
Polygraph Test Machine या Lie Detector Machine कैसा होता है?
Polygraph Test
Lie Detector Machine
जिस व्यक्ति की जांच की जानी होती है इसके छाती और पेट पर एक प्रकार का बेल्ट या जैकेट जैसा उपकरण लगाया जाता है। इसमें न्यूमोग्राफ ट्यूब लगे होते हैं जो व्यक्ति की हृदय धड़कन और कुछ अन्य संकेतों की जांच करता है।
व्यक्ति के बांह पर एक पट्टी जैसी मशीन लगाई जाती है जो रक्त चाप (Blood pressure) को नापने का काम करता है।
व्यक्ति की उंगलियों में एक मशीन लगाई जाती है। यह दरअसल एक इलेक्ट्रोड होता है जो गेलवेनिक स्किन रिफ्लेक्स (पसीना नापने का तरीका) को नापने के लिए हल्की विद्युत प्रवाहित करता है।
व्यक्ति जिस कुर्सी पर बैठता है उसकी डिजाइनिंग इस प्रकार से की जाती है की दबाव और हल्की से हलचल को भी रिकॉर्ड कर लेती है।
यह तो Lie Detector Machine की मोटा मोटी बनावट हुई। लेकिन इस जांच में जितना महत्व मशीन का होता है, उससे कहीं अधिक जांचकर्ता या विशेषज्ञ की होती है। विशेषज्ञ का ज्ञान, उसका अनुभव और मनोविज्ञान की समझ जितनी अधिक होगी जांच का परिणाम उतना ही सटीक होगा। जांचकर्ता को घटना की जितनी अच्छी जानकारी होगी उतना ही सटीक प्रश्न पूछा जा सकेगा और परिणामस्वरूप नतीजा भी बेहतर होता है।
Polygraphy Test Questions (पॉलीग्राफी टेस्ट में कैसे प्रश्न पूछे जाते हैं?)
Polygraphy Test की प्रक्रिया में जांच किए जाने वाले व्यक्ति से आसान सवाल पूछे जाते हैं। वैसे इसके कुछ बेसिक नियम हो सकते हैं लेकिन जांचकर्ता के अनुसार थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। पूछे जाने वाले प्रश्नों को व्यक्ति को पहले से ही दे दिया जाता है। ऐसा नहीं है की प्रश्न अचानक पूछे जाते हैं। ऐसा करने पर इंसान अचानक प्रश्न सुनने पर वैसे प्रश्न से भी घबरा सकता है जिसका वह सही उत्तर दे सकता है या जिस प्रश्न में वह कुछ छुपाना नहीं चाहता हो।
प्रश्न अमूमन दो प्रकार के हो सकते हैं। पहला कंट्रोल्ड और दूसरा अनकंट्रोल्ड। घटना या क्राइम से अलग सामान्य प्रश्नों को कंट्रोल्ड और घटना से संबंधित प्रश्नों को अनकंट्रोल्ड प्रश्न कह सकते हैं।
प्रश्न ऐसे आसान होते हैं जिसका उत्तर हां या नहीं में अथवा छोटे छोटे शब्दों या वाक्यों में दिया जा सकता है। यहां पुनः जांचकर्ता या विशेषज्ञ की बुद्धि और अनुभव के अनुसार प्रश्न होते हैं। अमूमन बेसिक साइकोलॉजी के अनुसार पहले साधारण और घटना से अलग सवाल पूछे जाते हैं। इस दौरान व्यक्ति जब उत्तर देता है तब उसके शारीरिक संकेतों जैसे हार्टबीट, ब्लड प्रेशर, पसीना आदि फैक्टर्स की ग्राफ को नोट किया जाता है।
अचानक जब घटना या क्राइम से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं तब जवाब देते समय उसका शरीर क्या संकेत देता है जो ग्राफ किया गया है। इस दोनों की तुलना की जाती है। जैसे ही व्यक्ति घटना या क्राइम से संबंधित प्रश्न सुनकर घबराता है या कुछ छुपाना चाहता है वैसे ही ग्राफ में अचानक बदलाव आता है। ग्राफ अचानक अप या डाउन का सिग्नल देता है जिसे विशेषज्ञ स्क्रीन पर देख कर पता लगा लेते हैं।
नॉर्मल प्रश्नों के उत्तर देने में व्यक्ति कितना रूक कर जवाब देता है। या एक प्रश्न सुनकर उत्तर देने में वह कितना वक्त लेता है, इसका घटना से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने में लिए गए समय अंतराल से भी तुलना की जाती है।