Barcode क्या होता है?

विस्तार से जानेंगे।

Update: 2023-05-07 16:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आप जब भी किसी शॉप पर शॉपिंग करने जाते हैं या जब आप कोई प्रोडक्ट ऑनलाइन खरीददारी करके अमेजन या फ्लिपकार्ट के माध्यम से अपने घर मंगवाते हैं तो इस प्रोडक्ट के पैकिंग के ऊपर आप काले रंग की पतली मोटी लाईन की मिश्रित पट्टी देखते होंगे। इसे ही बारकोड कहते हैं। कुछ बारकोड 2D के रूप में भी आपने देखा होगा। नीचे की तस्वीर में आप दोनों बारकोड को देख सकते हैं। दरअसल इस बारकोड में उस प्रोडक्ट से संबंधित अनेक जानकारियां और डाटा संरक्षित होता है। इस लेख में हम बारकोड और बारकोड रीडर या स्कैनर के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Barcode क्या होता है? (What is Barcode in Hindi)

Table of Contents

Barcode क्या होता है? (What is Barcode in Hindi)

बारकोड का इतिहास (History of Barcode)

बारकोड के प्रकार (Types of Barcode)

Barcode FAQs:

बारकोड को कैसे पढ़ा जाता है?

बारकोड का आविष्कार किसने किया?

भारत का बारकोड क्या है?

अन्य पढ़ें:

Barcode किसी भी प्रोडक्ट की डाटा को संग्रहित करने की एक तकनीक होती है। इसमें डाटा को एनकोड करके मशीनी भाषा में डिजिटल रूप में संग्रहित किया जाता है। देखने में बारकोड पतली और कुछ मोती सामानांतर रेखा की एक पट्टी के रूप में होता है जिसे आप किसी भी उत्पाद की पैकेजिंग पर देख सकते हैं। इसे एक बीमीय बारकोड कहते हैं। 2 डी बारकोड भी इसी प्रकार से डाटा को संग्रहित करती है। लेकिन इसमें दो आयामों में डाटा को संग्रहित किया जाता है। इसमें किसी प्रोडक्ट के बारे में जानकारी जैसे इसका उत्पादन कब और कहाँ हुआ, इसकी कीमत आदि को डाटा के रूप में संग्रहित किया जाता है। बारकोड में संग्रहित डाटा को पढ़ने के लिए बारकोड रीडर या बारकोड स्कैनर नामक टूल का इस्तेमाल किया जाता है। यह टूल Optical Scanner की मदद से बारकोड में संगहित डाटा को पढता है जिसे कंप्यूटर डिकोड करके पढ़ पता है। बारकोड से किसी भी प्रोडक्ट को ट्रैक किया जा सकता है।

बारकोड का इतिहास (History of Barcode)

आज बारकोड जितना लोकप्रिय दिख रहा है, पहले ऐसा नहीं था। हालांकि बारकोड का इतिहास अधिक पुराना नहीं है लेकिन फिरभी अपने शुरुआती दिनों में इसे अपनी महत्ता स्थापित करने में समय लगा। धीरे धीरे अनेक क्षेत्रों में इसका उपयोग होने लगा और लोकप्रिय हो गया।

बारकोड का आविष्कार 1948 में ड्रेक्सेल विश्वविद्यालय के दो छात्र नॉर्मन जे वुडलैंड और बर्नार्ड सिल्वर ने मिलकर किया था। 1952 में दोनों ही अविष्कारक को बारकोड का तब पेटेंट प्राप्त हुआ जब किसी बिजनेसमैन को अपने इन्वेंटरी प्रबंधन और चेकआउट सिस्टम के लिए अपने बिजनेस को ऑटोमैटिक करने में मदद मिली। धीरे धीरे इस तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने लगा।

1960 में रेलवे की मॉनिटरिंग सिस्टम में इसका इस्तेमाल किया गया। 1974 में ओहियो के ट्रॉय मार्श के सुपर मार्केट में पहला यूपीसी स्कैनर लगाया गया जहां पहली बार बारकोड को स्कैन किया गया। समय के साथ साथ तकनीक में बदलाव आता गया और बारकोड में नए नए फीचर आते गए। 1डी बारकोड से 2डी बारकोड आ गए और आज बारकोड काफी प्रचलित रूप ले चुका है।

बारकोड के प्रकार (Types of Barcode)

बारकोड दो प्रकार के होते हैं। दोनों की प्रकृति, बनावट और डाटा संरक्षित करने की प्रकृति अलग अलग होती है।

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