Tokamak: टोकामक एक बेलनाकार आकार का उपकरण है जिसका उपयोग न्यूक्लियर फ्यूजन प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. इसकी मदद से वैज्ञानिक धरती पर ही सूर्य जैसी ऊर्जा पैदा कर कर सकते हैं. चीन और दुनिया के पहले हाई टेम्प्रेचर तापमान वाले सुपरकंडक्टिंग टोकामक डिवाइस, होंगहुआंग 70 (HH70) (कृत्रिम सूर्य) ने हाल ही में सफलतापूर्वक पहला प्लाज्मा हासिल किया है, जो क्लीन एनर्जी के लिए फ्यूजन तकनीक के की तरफ चीन का एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इस बात की जानकारी कंपनी एनर्जी सिंगुलैरिटी ने बुधवार दी थी. HH70 के पूरा होने और संचालन ने हाई टेम्प्रेचर सुपरकंडक्टिंग टोकामक की इंजीनियरिंग फीसेबिलिटी वेरिफिकेशन को पूरा करने में दुनिया में अग्रणी स्थान हासिल किया, जिससे पता चला कि चीन ने हाई टेम्प्रेचर सुपरकंडक्टिंग चुंबकीय कन्फ़ाइनमेंट फ्यूजन के प्रमुख क्षेत्र में प्रथम-प्रस्तावक लाभ प्राप्त किया है.
टोकामक एक बेलनाकार आकार का उपकरण है जिसका उपयोग न्यूक्लियर फ्यूजन प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. इसकी मदद से वैज्ञानिक धरती पर ही सूर्य जैसी ऊर्जा पैदा कर कर सकते हैं. ये सूर्य जितनी ही ताकतवर एनर्जी है. यह कैसे काम करता है:_ गर्म प्लाज्मा: टोकामक के अंदर, हाइड्रोजन गैस को अत्यधिक गर्म (करोड़ों डिग्री सेल्सियस) किया जाता है, जिससे यह आयनित होकर प्लाज्मा में बदल जाती है. चुंबकीय क्षेत्र: प्लाज्मा को नियंत्रित करने और उसे टोकामक के अंदर रखने के लिए, शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है. यह क्षेत्र प्लाज्मा को दीवारों से टकराने से रोकता है और इसे डोनट के आकार में रखता है. संलयन: जब प्लाज्मा पर्याप्त गर्म हो जाता है, तो हाइड्रोजन के नाभिक संलयित होकर हीलियम के नाभिक बनाते हैं। इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जिसे बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है.
टोकामक के फायदे:- स्वच्छ ऊर्जा: टोकामक स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, क्योंकि वे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं., प्रचुर ईंधन: टोकामक का ईंधन, हाइड्रोजन, समुद्री जल से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है., कम रेडियोएक्टिव वेस्ट: टोकामक कम मात्रा में रेडियोएक्टिव वेस्ट पैदा करते हैं, जो परंपरागत परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में बहुत कम है.
चुनौतियाँ:- तकनीकी जटिलता: टोकामक का निर्माण और संचालन बहुत जटिल और महंगा है., ऊर्जा उत्पादन: अभी तक, टोकामक द्वारा उत्पादित ऊर्जा उपभोग की तुलना में कम है.,स्थायित्व: टोकामक के कुछ घटक, जैसे चुंबकीय क्षेत्र, अत्यधिक तापमान और दबाव का सामना करने में सक्षम नहीं होते हैं, जिसके कारण उन्हें बार-बार बदलने की आवश्यकता होती है.,टोकामक भविष्य में ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वैज्ञानिक लगातार इन उपकरणों को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं ताकि वे अधिक कुशल और व्यवहार्य बन सकें.,
भारत में टोकामक:-भारत में, गांधीनगर में प्लाज्मा Research Institute (पीआरआई) दो टोकामक संचालित करता है: आदित्य और एसएसटी-1, ये टोकामक शोध और विकास के लिए उपयोग किए जाते हैं, और भारत को न्यूक्लियर फ्यूजन ऊर्जा में अग्रणी देशों में से एक बनाने में मदद कर रहे हैं.
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