सख्त नियम, Android स्मार्टफोन यूजर्स के नहीं कर पाएंगे कॉल रिकॉर्ड, जानिए क्यों
नई दिल्ली: एंड्रॉयड स्मार्टफ़ोन्स के लिए गूगल प्ले स्टोर पर सैकड़ों कॉल रिकॉर्डिंग ऐप्स मौजूद हैं. हालाँकि इसकी ठीक उलट ऐपल ने ऐप स्टोर पर सिर्फ़ कुछ कॉल रिकॉर्डिंग ऐप्स को ही जगह दी है जो पेड हैं. जल्द ही एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में भी कॉल रिकॉर्डिंग मुश्किल होने वाली है.
अब गूगल कॉल रिकॉर्डिंग ऐप्स पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. ग़ौरतलब है कि गूगल ने Android 10 के साथ डिफ़ॉल्ट कॉल रिकॉर्डिंग फ़ीचर बंद कर दिया था. हालाँकि दूसरी कंपनियाँ अपने एंड्रॉयड बेस्ड कस्टम ओेएस में अब भी कॉल रिकॉर्डिंग फ़ीचर्स देती हैं.
11 मई से गूगल नई गूगल प्ले पॉलिसी इंप्लिमेंट कर रही है जो थर्ड पार्टी ऐप्स को कॉल रिकॉर्डिंग ऐक्सेसिब्लिटी API यूज करने से रोकेगा. यानी पॉलिसी लागू होने के बाद से थर्ड पार्टी ऐप्स से कॉल रिकॉर्डिंग नहीं की जा सकेगी.
हालाँकि जिन एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में पहले से ही कॉल रिकॉर्डिंग ऐप्स हैं और उन्हें परमिशन मिली हुई है तो उन्हें इस पॉलिसी से फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. उन ऐप्स के ज़रिए आगे भी कॉल रिकॉर्डिंग की जा सकेगी, लेकिन नए ऐप इंस्टॉल करके उनसे कॉल रिकॉर्ड नहीं किया जा सकेगा.
बताया जा रहा है कि इस नियम के बावजूद भी Google और Xiaomi के स्मार्टफोन्स में कोई असर नहीं होगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये नेटिव कॉल रिकॉर्डिंग फ़ंक्शन देते हैं. हालाँकि आने वाले समय में इनके लिए भी कोई पॉलिसी इंप्लिमेंट की जा सकती है, जिसके बारे में गूगल ने अभी कुछ नहीं कहा है.
गूगल की ये नई पॉलिसी प्ले स्टोर पर मौजूद थर्ड पार्टी कॉल रिकॉर्डिंग ऐप्स पर लागू होंगी. Android Authority की रिपोर्ट के मुताबिक गूगल प्ले पॉलिसी अपडेट्स में ये बात कही गई है कि अगर फोन के डिफॉल्ट डायलर में कॉल रिकॉर्डर है और प्री लोडेड है तो ऐसे में इनकमिंग ऑडियो स्ट्रीम के लिए ऐक्सेसिब्लिटी की जरूरत नहीं होगी, इसलिए गूगल की नई पॉलिसी का वायलेशन भी नहीं होगा.
11 मई से आपके फ़ोन में इंस्टॉल किया हुआ थर्ड पार्टी एंड्रॉयड कॉल रिकॉर्डर काम करना बंद कर दे तो हैरानी की बात नहीं होगी. क्योंकि गूगल की ये पॉलिसी 11 मई से ही लागू होने जा रही है.
ग़ौरतलब है कि प्राइवेसी को मद्देनज़र रखते हुए कॉल रिकॉर्डिंग करने वाले थर्ड पार्टी ऐप्स पर शिकंजा कसा जा रहा है. क्योंकि थर्ड पार्टी कॉल रिकॉर्डिंग ऐप्स यूज़र्स की प्राइवेसी में सेंध लगाते हैं. कई देशों में कॉल रिकॉर्डिंग ही अवैध है, इसलिए भी कंपनियाँ इसे एंडॉर्स नहीं करती हैं.